ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 647/2010/347 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' के कल के अंक में हमने भारतीय फिल्म संगीत जगत की ऐतिहासिक फिल्म 'बसन्त बहार' और उस फिल्म में स्वर शिल्पी मन्ना डे द्वारा गाये गए गीतों की चर्चा की थी। आज के अंक में हम मन्ना डे के शास्त्रीय संगीत के प्रति अनुराग की चर्चा को ही आगे बढ़ाते हैं। पहली कड़ी में इस बात पर चर्चा हो चुकी है कि मन्ना डे को प्रारम्भिक संगीत शिक्षा उनके चाचा कृष्णचन्द्र डे से प्राप्त हुई थी। मुम्बई आने से पहले उस्ताद दबीर खां से भी उन्होंने ख़याल गायकी सीखी थी। मुम्बई आकर भी उनकी संगीत सीखने की पिपासा शान्त नहीं हुई, उन्होंने उस्ताद अमान अली खां और उस्ताद रहमान अली खां से संगीत सीखना जारी रखा। अपने संगीतबद्ध किए गीतों में रागों का हल्का-फुल्का प्रयोग तो वो करते ही आ रहे थे, फिल्म 'बसन्त बहार' में राग आधारित गीतों के गायन से उनकी छवि ऐसी बन गई कि जब भी कोई संगीतकार राग आधारित गीत तैयार करता था, उसे गाने के लिए सबसे पहले मन्ना डे का नाम ही सामने आता था। शास्त्रीय संगीत आधारित गीतों के लिए मन्ना डे हर संगीतकार की पहली पसन्द बन गए थे। संगीत