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ओ बेकरार दिल हो चुका है मुझको आंसुओं से प्यार....लता का गाया एक बेमिसाल गीत

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 239 क ल हमने बात की थी हेमन्त कुमार के निजी बैनर 'गीतांजली पिक्चर्स' के तले बनी फ़िल्म 'ख़ामोशी' की। हेमन्त दा के इस बैनर तले बनी फ़िल्मों और उनके मीठे संगीत का ही शायद यह असर है कि एक गीत से दिल ही नहीं भरता इसलिए आज हम एक बार फिर सुनने जा रहे हैं उनके इसी बैनर तले निर्मित फ़िल्म 'कोहरा' से एक और गीत, इससे पहले इस फ़िल्म का हेमन्त दा का ही गाया " ये नयन डरे डरे " आप इस महफ़िल में सुन चुके हैं। आज इस फ़िल्म से सुनिए लता मंगेशकर की आवाज़ में "ओ बेक़रार दिल हो चुका है मुझको आँसुओं से प्यार"। 'बीस साल बाद' और 'कोहरा' हेमन्त दा के इस बैनर की दो उल्लेखनीय सस्पेन्स फ़िल्में रहीं। आइए आज 'कोहरा' की कहानी आपको बताई जाए। अपने पिता के मौत के बाद राजेश्वरी अनाथ हो जाती है, और बोझ बन जाती है एक विधवा पर जो माँ है एक ऐसे बेटे रमेश की जिसकी मानसिक हालत ठीक नहीं। उस औरत का यह मानना है कि अगर राजेश्वरी रमेश से शादी कर ले तो वो ठीक हो जाएगा। लेकिन राजेश्वरी को कतई मंज़ूर नहीं कि वो उस पागल से शादी करे, इसलिए वो

शुक्रान अल्लाह वल हम्दुल्लाह....खुदा की नेमतों पर झुके सोनू निगम, श्रेया और सलीम के स्वर

ताजा सुर ताल TST (32) दोस्तों, ताजा सुर ताल यानी TST पर आपके लिए है एक ख़ास मौका और एक नयी चुनौती भी. TST के हर एपिसोड में आपके लिए होंगें तीन नए गीत. और हर गीत के बाद हम आपको देंगें एक ट्रिविया यानी हर एपिसोड में होंगें ३ ट्रिविया, हर ट्रिविया के सही जवाब देने वाले हर पहले श्रोता की मिलेंगें 2 अंक. ये प्रतियोगिता दिसम्बर माह के दूसरे सप्ताह तक चलेगी, यानी 5 अक्टूबर से 14 दिसम्बर तक, यानी TST के 40 वें एपिसोड तक. जिसके समापन पर जिस श्रोता के होंगें सबसे अधिक अंक, वो चुनेगा आवाज़ की वार्षिक गीतमाला के 60 गीतों में से पहली 10 पायदानों पर बजने वाले गीत. इसके अलावा आवाज़ पर उस विजेता का एक ख़ास इंटरव्यू भी होगा जिसमें उनके संगीत और उनकी पसंद आदि पर विस्तार से चर्चा होगी. तो दोस्तों कमर कस लीजिये खेलने के लिए ये नया खेल- "कौन बनेगा TST ट्रिविया का सिकंदर" TST ट्रिविया प्रतियोगिता में अब तक- पिछले एपिसोड में फिर एक बार सीमा जी छाई रही, पर जवाब बस दो ही सही दिए उन्होंने, खैर आपका स्कोर हुआ 20. यदि किसी ने तीसरे जवाब के लिए कोशिश किया होता तो यकीनन दो अंक मिल सकते थे, तीसरे सवाल

दोस्त कहाँ कोई तुमसा...."सिस्टर्स" की सेवाओं को समर्पित एक अनूठा नगमा

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 238 हे मन्त कुमार के निजी बैनर 'गीतांजली पिक्चर्स' के बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं जब हमने आपको फ़िल्म ' बीस साल बाद ' और ' कोहरा ' के दो गीत सुनवाए थे। इसी बैनर के तले उन्होने १९६९ में फ़िल्म बनाई 'ख़ामोशी'। यह फ़िल्म हिंदी सिनेमा का एक बड़ा ही ख़ूबसूरत और उल्लेखनीय अध्याय माना जाता है। आशुतोष मुखर्जी की कहानी पर बनी इस फ़िल्म का निर्देशन किया था असित सेन ने, संवाद और गीत लिखे गुलज़ार ने, संगीत था हेमन्त कुमार का और फ़िल्म के मुख्य चरित्रों में थे राजेश खन्ना व वहीदा रहमान। फ़िल्म जितनी सार्थक थी, उतने ही लोकप्रिय हुए इसके गानें। चाहे वह लता जी का गाया "हमने देखी है इन आँखों की महकती ख़ुशबू" हो या किशोर दा का गाया "वह शाम कुछ अजीब थी", या फिर हेमन्त दा का ही गाया "तुम पुकार लो, तुम्हारा इंतज़ार है"। इन तीन हिट गीतों के अलावा दो और गीत थे इस फ़िल्म में, एक आरती मुखर्जी का गाया हुआ और दूसरा मन्ना डे साहब का गाया हुआ, जो फ़िल्माया गया था कॊमेडियन देवेन वर्मा पर, जिन्होने फ़िल्म में एक मरीज़ की