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कोई हमदम न रहा... किशोर कुमार ( २ )

अवनीश तिवारी लिख रहे हैं हरफनमौला फनकार किशोर कुमार के सगीत सफर की दास्तान, जिसकी पहली कड़ी आप यहाँ पढ़ चुके हैं, अब पढ़ें आगे - साथियों , इस महीने याद करेंगे किशोर कुमार के जीवन के उस दशक की जो उनके भीतर के कुदरती कला को प्रस्तुत कर उनको एक बेजोड़ कलाकार के रूप में स्थापित करता है. १९६०-१९७० का वह दशक हिन्दी फ़िल्म जगत में किशोर के नाम से छाया रहा चाहे अभिनय हो, संगीत बनाना हो या गाना गाना और या फ़िर फिल्मो का निर्देशन, लगभग फिल्मी कला के हर क्षेत्र में किशोर ने सफल प्रयोग किए. किसी साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि उन दिनों वे इतने व्यस्त थे कि एक स्टूडियो से दुसरे स्टूडियो जाते समय, चलती गाडी में ही अगले दिए गए कामों (assignments) की तैयारी करने लगते. इस सुनहरे दशक में किशोर के अभिनय और आवाज़ की कुछ यादगार फिल्मे - १. १९६० - बेवकूफ , गर्ल फ्रेंड गर्ल फ्रेंड फ़िल्म सत्येन बोश की निर्देशित फ़िल्म थी जिसका एक गीत अपनी छाप छोड़ गया गायिका सुधा मल्होत्रा के साथ गाया गीत " कश्ती का खामोश सफर है " यादगार रहा २. १९६१ - झुमरू किशोर के हरफनमौला होने का परिचय देती यह फ़िल्म कभी भुल

मिलिए बर्ग वार्ता वाले "स्मार्ट इंडियन" अनुराग शर्मा से

अनुराग शर्मा 'पढ़ने' की बजाय 'सुनने' को ज्यादा प्राकृतिक मानने वाले अनुराग दोस्तो, पिछले २ सप्ताहों से आप एक आवाज़ को हिन्द-युग्म पर खूब सुन रहे हैं। और आवाज़ ही क्या, इंटरनेट पर जहाँ-जहाँ हिन्दी की उपस्थिति है, वहाँ ये उपस्थित दिखाई देते हैं। हमारे भी हर मंच पर ये दिखते हैं। इन्होंने आवाज़ पर ऑडियो-बुक का बीज डाला। इनका मानना है कि भारत में ऑडियो बुक्स में अभी बहुत सम्भावनाएँ हैं। ये हिन्दी साहित्य को किसी भी तरह से जनप्रिय बनाना चाहते हैं। इसीलिए अपनी आवाज़ में प्रसिद्ध कहानियाँ वाचने का सिलसिला शुरू कर दिया है। अनुराग विज्ञान में स्नातक तथा आईटी प्रबंधन में स्नातकोत्तर हैं। एक बैंकर रह चुके हैं और वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका में एक स्वास्थ्य संस्था में ऍप्लिकेशन आकिर्टेक्ट हैं। उत्तरप्रदेश में जन्मे अनुराग भारत के विभिन्न राज्यों में रह चुके हैं। फिलहाल पिट्सबर्ग में रहते हैं। लिखना, पढ़ना, बात करन,ा यानी सामाजिक संवाद उनकी हॉबी है। शायद इसीलिए वे कविता, कहानी, लेख आदि विधाओं में सतत् लिखते रहे हैं। वे दो वर्ष तक एक इन्टरनेट रेडियो (PittRadio) चला चुके

अहमद फ़‌राज़ की शायरी, उनकी अपनी आवाज़ में

सुनिए अहमद फ़राज़ की २३ रिकॉर्डिंग उन्हीं की आवाज़ में पिछला सप्ताह कविता-शायरी के इतिहास के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता क्योंकि हमने पिछले सोमवार कविता का न मिट सकने वाले अध्याय का सृजक, पाकिस्तानी शायर अहमद फ़राज़ को खो दिया। एक दिन बाद ही हिन्द-युग्म पर प्रेमचंद की रूला देने वाली श्रद्धाँजलि प्रकाशित हुई। दीप-जगदीप ने उनके आखिरी ३७ दिनों का ज़िक्र किया। मेरा कविता-प्रेमी मन भी उनको इंटरनेट पर तलाशता रहा। मैंने उनकी आवाज़ कभी नहीं सुनी थी। हाँ, उनकी शायरियाँ दूसरे लोगों की जुबानों से सैकड़ों बार सुन चुका था। पाकिस्तान के नवशेरा में जन्मे फ़राज़ की आवाज़ खोजते-खोजते मैं एक पाकिस्तानी फोरम पर पहुँच गया, जहाँ उनकी आवाज़ सुरक्षित थी। एक नहीं पूरी २३ रिकॉर्डिंग। कुछ तकनीकी कमियों के कारण उन्हें सीधे सुन पाना आसान न था, तो मैंने सोचा इस महान शायर के साथ यह अन्याय होगा, यदि आवाज़ बहुत बड़े श्रोतावर्ग तक नहीं पहुँची तो। वे फाइलें भी सुनने लायक हालत में नहीं थी। अनुराग शर्मा से निवेदन किया कि वे उन्हें परिवर्धित और संपादित कर दें। उसी का परिणाम है कि आज हम आपके सामने उनकी २३ रिकॉर्डिंग लेकर

हिस्सा बनिए आवाज़ पर " लता संगीत पर्व " का और जीतिए इनाम

दोस्तो, लता दी इस माह की 28 तारीख को हम सब की प्रिय गायिका लता मंगेशकर यानी लता दी, अपना 79वां जन्मदिन मनायेंगी. चूँकि लता दी हिन्दी फ़िल्म संगीत जगत की इतनी बड़ी शख्सियत हैं कि मात्र एक दिन का समय काफ़ी नहीं होगा, उनके अपार गीतों के संग्रह का जिक्र करने के लिए, इसलिए आवाज़ की टीम ने तय किया है कि हम महीने भर का " लता संगीत पर्व " मनाएंगे. जिसमें लता दी के संगीत दीवानों के लिए एक नायाब प्रतियोगिता हम आयोजित करने जा रहे हैं. कोई भी व्यक्ति इस प्रतियोगिता में भाग ले सकता है, करना सिर्फ़ इतना है, कि लता दी का कोई एक गीत आपको चुनना होगा, और उस गीत से सम्बंधित तमाम जानकारियों पर 300 से 400 शब्दों का एक आलेख लिखना होगा. जिसमे उस गीत से जुड़ी हुई कोई अनूठी बात, उस गीत को कोई ख़ास विशेषता जिसके कारण वो गीत आपको इतना अधिक पसंद है, उस गीत से जुड़े अन्य कलाकारों के नाम और गीत के बोल आदि शामिल होंगे. सबसे बढ़िया तरीके से प्रस्तुत पहले 3 आलेखों को क्रमशः 500 , 300 और 200 रुपए की पुस्तकें मसि कागद की तरफ़ से और 10 अन्य आलेखों को आवाज़ की तरफ़ से "पहला सुर" एल्बम की एक एक प्रति भें

मासिक टॉप 10 पन्ने

पाठकों का रूख क्या है? यह जानने के लिए यह टेबल उपयोगी है। हम डायरेक्ट विजीट के आधार पर प्रत्येक माह के शीर्ष १० पोस्टों को प्रदर्शित कर रहे हैं। आवाज़ पर जुलाई २००८ के टॉप १० पन्ने Rank Page Title Direct Visits Total Page Views 1 बढ़े चलो 452 818 2 संगीत दिलों का उत्सव है 404 772 3 आवारादिल 400 583 4 तेरे चेहरे पे 263 422 5 अलविदा इश्मित 158 179 6 पॉडकास्ट कवि सम्मेलन 155 210 7 सीखिए गायकी के गुर 130 160 8 मानसी का साक्षात्कर 107 172 9 नैना बरसे रिमझिम-रिमझिम 98 163 10 झूमो रे दरवेश 76 118 Stats from 1 July 2008 to 31 July 2008 Source: FeedBurner आवाज़ पर अगस्त २००८ के टॉप १० पन्ने Rank Page Title Direct Visits Total Page Views 1 मैं नदी 366 612 2 मेरे सरकार 265 410 3 चले जाना 263 448 4 जीत के गीत 225 452 5 बे-इंतहा 170 312 6 ऑनलाइन काव्यपाठ और अभिनय का मौका 140 208 7 आसाम के लोकसंगीत का ज़ादू 132 170 8 वो खंडवा का शरारती छोरा 130 199 9 सूफी संगीत भाग दो 112 151 10 लौट चलो पाँव पड़ूँ तोरे श्याम 83 124 Stats from 1 August 2008 to 31 August 2008 Source: FeedBurner आवाज़ पर सितम्बर २००८

आवाज़ की सिफारिश - " रॉक ऑन "

संगीत और दोस्ती पर आधारित ये नई फ़िल्म, एक बेहतरीन प्रस्तुति है और सभी संगीत कर्मियों और संगीत प्रेमियों के लिए " A must watch " है, कहानी है चार दोस्तों की जो की हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा रॉक बैंड बनाना चाहते थे, पर बहुत कोशिशों के बावजूद वो ऐसा नही कर पाते, सब की जिंदगियां अलग अलग रास्तों की तरफ़ मुड जाती है, लगभग १० साल बाद वो फ़िर मिलते हैं, और फ़िर से शुरू करते हैं एक नया सफर....और इस बार... इस बार उन्हें जीतने से कोई नही रोक सकता. अभिषेक कपूर जो इससे पहले "आर्यन" बना चुके हैं, ने पूरी कहानी को जिस अंदाज़ में प्रस्तुत किया है, वह बेमिसाल है, सभी कलकारों, अर्जुन रामपाल, पूरब कोहली, फरहान अख्तर, लुक केन्नी, और प्राची देसाई (जिन्हें आप अब तक बहु के रूप में देख चुके हैं एकता कपूर के धारावाहिकों में, यहाँ एक बिल्कुल ही अलग अंदाज़ में दिखेंगी) ने बेहतरीन अभिनय किया है, शंकर-एहसान-लोय का संगीत जबरदस्त है. ज्यादा हम क्या कहें, आप ख़ुद देखें और जानें, फ़िल्म का संदेश बेहद साफ़ है, "अपने सपनों को जियो, तो जिंदगी सपनों की तरह खूबसूरत बन जाती है", यही संदेश आवाज़ का

पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का दूसरा अंक

पॉडकास्ट के माध्यम से काव्य-पाठों का युग्मन मृदुल कीर्ति लीजिए हम एक बार पुनः हाज़िर हैं पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का नया अंक लेकर। पॉडकास्ट कवि सम्मेलन भौगौलिक दूरियाँ कम करने का माध्यम है। पिछले महीने शुरू हुए इस आयोजन को मिली कामयाबी ने हमें दूसरी बार करने का दमखम दिया। पिछली बार के संचालन से हमारी एक श्रोता मृदुल कीर्ति बिल्कुल संतुष्ट नहीं थीं, उन्होंने हमसे संचालन करने का अवसर माँगा, हमने खुशी-खुशी उन्हें यह कार्य सौंपा और जो उत्पाद निकलकर आया, वो आपके सामने हैं। इस बार के पॉडकास्ट कवि सम्मेलन ने ग़ाज़ियाबाद से कमलप्रीत सिंह, धनवाद से पारूल, फ़रीदाबाद से शोभा महेन्द्रू, पिट्सबर्ग से अनुराग शर्मा, म॰प्र॰ से प्रदीप मानोरिया, पुणे से पीयूष के मिश्रा तथा अमेरिका से ही मृदुल कीर्ति को युग्मित किया है। इनके अतिरिक्त शिवानी सिंह और नीरा राजपाल की भी रिकॉर्डिंग प्राप्त हुई लेकिन एम्पलीफिकेशन के बावज़ूद स्वर बहुत धीमा रहा, इसलिए हम इन्हें शामिल न कर सके, जिसका हमें दुःख है। नीचे के प्लेयरों से सुनें। (ब्रॉडबैंड वाले यह प्लेयर चलायें) (डायल-अप वाले यह प्लेयर चलायें) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन