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सुनो कहानीः प्रेमचंद की 'अंधेर'

सुनिए 'सुनो कहानी' अभियान की पहली कड़ी- प्रेमचंद की कहानी 'अंधेर' का पॉडकास्ट अभी २ दिन पहले ही हमने वादा किया था कि हम हिन्दी साहित्य के ऑडियो बुक पर काम करेंगे। लीजिए हम हाज़िर है एक कहानी लेकर। इससे पहले हम ५ कहानियों का पॉडकास्ट प्रासरित भी कर चुके हैं। नियमित कहानी प्रासरण की शृंखला की पहली कड़ी के तहत हम उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की कहानी 'अंधेर' लेकर उपस्थित हैं। इस कहानी को वाचा है अनुराग शर्मा उर्फ़ स्मार्ट इंडियन ने। नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें) VBR MP3 64Kbps MP3 Ogg Vorbis आज भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं, तो यहाँ देखें। #First Story, Andher: Munsi Premchand/Hindi Audio Book/2008/01. Voice: An

चले जाना कि रात अभी बाकी है...

दूसरे सत्र के आठवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज आठवीं पेशकश के रूप में हाज़िर है सत्र की दूसरी ग़ज़ल, " पहला सुर " में "ये ज़रूरी नही" ग़ज़ल गाकर और कविताओं का अपना स्वर देकर, रुपेश ऋषि , पहले ही एक जाना माना नाम बन चुके हैं युग्म के श्रोताओं के लिए. शायरा हैं एक बार फ़िर युग्म में बेहद सक्रिय शिवानी सिंह . शिवानी मानती हैं, कि उनकी अपनी ग़ज़लों में ये ग़ज़ल उन्हें विशेषकर बहुत पसंद हैं, वहीँ रुपेश का भी कहना है -"शिवानी जी की ये ग़ज़ल मेरे लिए भी बहुत मायने रखती थी ,क्योंकि ये उनकी पसंदीदा ग़ज़ल थी और वो चाहती थी कि ये ग़ज़ल बहुत इत्मीनान के साथ गायी जाए, मुझे लगता है कि कुछ हद तक मैं, उनकी उम्मीद पर खरा उतर पाया हूँ, बाकी तो सुनने वाले ही बेहतर बता पाएंगे". तो आनंद लें इस ग़ज़ल का और अपने विचारों से हमें अवगत करायें. इस ताज़ी ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें- The team of "ye zaroori nahi" from " pahla sur " is back again with a bang. Rupesh Rishi is once again excellent here with his rendering as well as composition, While Shi

सूफ़ी संगीत: भाग दो - नुसरत फ़तेह अली ख़ान साहब की दिव्य आवाज़

कहा जाता है कि सूफ़ीवाद ईराक़ के बसरा नगर में क़रीब एक हज़ार साल पहले जन्मा. भारत में इसके पहुंचने की सही सही समयावधि के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी में ग़रीबनवाज़ ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती बाक़ायदा सूफ़ीवाद के प्रचार-प्रसार में रत थे. चिश्तिया समुदाय के संस्थापक ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेर शरीफ़ में क़याम करते थे. उनकी मज़ार अब भारत में सूफ़ीवाद और सूफ़ी संगीत का सबसे बड़ा आस्ताना बन चुकी है. महान सूफ़ी गायक मरहूम बाबा नुसरत फ़तेह अली ख़ान ने अपने वालिद के इन्तकाल के बाद हुए परामानवीय अनुभवों को अपने एक साक्षात्कार में याद करते हुए कहा था कि उन्हें बार-बार किसी जगह का ख़्वाब आया करता था. उन दिनों उनके वालिद फ़तेह अली ख़ान साहब का चालीसवां भी नहीं हुआ था. इस बाबत उन्होंने अपने चाचा से बात की. उनके चाचा ने उन्हें बताया कि असल में उन्हें ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह दिखाई पड़ती है. पिता के चालीसवें के तुरन्त बाद वे अजमेर आए और ग़रीबनवाज़ के दर पर मत्था टेका. यह नुसरत के नुसरत बन चुकने से बहुत पहले की बात है. उसके बाद नुसरत ने सूफ़

साहित्यिक हिन्दी ऑडियो बुक का हिस्सा बनिए

अपनी पसंद की कहानियों, उपन्यासों, लघुकथाओं, नाटकों, प्रहसनों का पॉडकास्ट बनाने में हमारी मदद करें हिन्द-युग्म ने अपने आवाज़ प्रोजेक्ट के तहत एक नई योजना बनाई है, जिसके सूत्रधार अनुराग शर्मा यानी स्मार्ट इंडियन हैं, जिन्हें इसका संचालक भी बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत हम ऑडियो बुक पर काम करेंगे। हिन्दी के सभी प्रसिद्ध कहानियों, उपन्यासों, लघुकथाओं, नाटकों, प्रहसनों, झलकियों इत्यादि का पॉडाकास्ट तैयार किया जायेगा। फिर उन्हें एल्बम की शक्ल दिया जायेगा। इस प्रोजेक्ट में कोई भी अपना हाथ बँटा सकता है। अपने पसंद की कहानियों, उपन्यासों, लघुकथाओं, नाटकों, प्रहसनों, झलकियों इत्यादि को रिकॉर्ड करके हमें podcast.hindyugm@gmail.com पर भेजें। जिस रिकॉर्डिंग की क्वालिटी (गुणवत्ता) अच्छी होगी, हम उसे इसी पृष्ठ (मंच) से प्रसारित करेंगे। लोगों की जो प्रतिक्रियाएँ आयेंगी, उनपर गौर करते हुए आप अपनी रिकॉर्डिंग में सुधार ला सकते हैं, अभिनय में सुधार ला सकते हैं, सुधार करके दुबारा की गई रिकॉर्डिंग को हम पुरानी रिकॉर्डिंग से बदलते रहेंगे। अनुराग मानते हैं कि विदेशों में साहित्यिक ऑडियो बुकों का बहुत प्रचल

गा के जियो तो गीत है जिंदगी...

"जीत के गीत" गाने वाले बिस्वजीत हैं, आवाज़ पर इस हफ्ते के उभरते सितारे. यह संयोग ही है कि उनका लघु नाम (nick name) भी जीत है, और जो पहला गीत उन्होंने गाया हिंद युग्म ले लिए, उसका भी शीर्षक "जीत" ही है. जैसा कि हम अपने हर फीचर्ड आर्टिस्ट से आग्रह करते हैं कि वो अपने बारे में हिन्दी में लिखें, हमने जीत से भी यही आग्रह किया, और आश्चर्य कि जीत ने न सिर्फ़ लिखा बल्कि बहुत खूब लिखा, टंकण की गलतियाँ भी लगभग न के बराबर रहीं, तो पढ़ें कि क्या कहते हैं बिस्वजीत अपने बारे में - मैं उड़ीसा राज्य के एक छोटे शहर कटक से वास्ता रखता हूँ. मेरा जन्म यहीं हुआ और बचपन इसी शहर में बीता. मैं हमेशा से ही पढ़ाई में उच्च रहा और मुझे कभी नहीं पता था कि मुझ में गायन प्रतिभा है. एक बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैंने बिना सोचे अपने स्कूल के गायन प्रतियोगिता में भाग लिया और अपने सभी अध्यापको से सराहा गया. तभी से मुझ में गायन की जैसे मानो लहर सी चल गई. और जब में अपने कॉलेज के दौरान ड्रामाटिक सेक्रेटरी चुना गया तो मुझे अलग अलग तरह के कार्यक्रमों में गाने का अवसर प्राप्त हुआ और तभी मैं कॉलेज का चहे

सुनो कहानी- बेज़ुबान दोस्त

सुनिए विश्व प्रसिद्ध कहानीकार एस आर हरनोट की कहानी 'बेज़ुबान दोस्त' भारत में हिन्दी कहानियों के वाचन पर काम बहुत कम हुआ है। कहानियों, उपन्यासों का नाट्य रूपांतरण करके रेडियो पर तो बहुत पहले से सुनाया जाता रहा है, लेकिन कहानियों को किसी एक या दो आवाज़ों द्वारा पढ़कर ऑडियो-बुक का रूप देने का काम बहुत कम दिखलाई पड़ता है। आवाज़ का प्रयास है कि हिन्दी साहित्य की हर विधा को हर तरह से समृद्ध करे। इसी कड़ी में हम आज 'सुनो कहानी' के अंतर्गत अनुराग शर्मा की आवाज़ में विश्व प्रसिद्ध कथाकार एस आर हरनोट की कहानी 'बेज़ुबान दोस्त' लेकर उपस्थित हैं। अब हम इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं, यह तो आप श्रोता ही बतायेंगे। नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें) VBR MP3 64Kbps MP3 Ogg Vorbis #First Story: Bezuban Dost; Author: S. R. Hrnot;

आसाम के लोक संगीत का जादू, सुनिए जुबेन की रूहानी आवाज़ में

आवाज़ पर हम आज से शुरू कर रहे हैं, लोक संगीत पर एक श्रृंखला, हिंद के अनमोल लोक संगीत के खजाने से कुछ अनमोल मोती चुन कर लायेंगे आपके लिए, ये वो संगीत है जिसमें मिटटी की महक है, ये वो संगीत है जो हमारी आत्मा में स्वाभाविक रूप से बसा हुआ सा है, तभी तो हम इन्हे जब भी सुनते हैं लगता है जैसे हमारे ही मन के स्वर हैं. जितनी विवधता हमारे देश के हर प्रान्त के लोक संगीत में है, उतनी शायद पूरी दुनिया के संगीत को मिलाकर भी नही होगी. चलिए शुरुवात करते हैं, वहां से, जहाँ से निकलता है सूरज, पूर्वोत्तर राज्यों के हर छोटे छोटे प्रान्तों में लोक संगीत के इतने प्रकार प्रचार में हैं कि इनकी गिनती सम्भव नही है. आवाज़ के एक रसिया सत्यजित बारो ह ने हमें ये रिकॉर्डिंग उपलब्ध करायी है. यह एक आधुनिक वर्जन है जिसे जुबेन ( वही जिन्होंने "गेंगस्टर" फ़िल्म का मशहूर 'या अली...' गीत गाया है ) ने गाया है. इन्हे भोर गीत कहा जाता है, जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि यह गीत सुबह यानी भोर के समय गाये जाते हैं, और इसमे सुबह के सुंदर दृश्य का वर्णन होता है, अधिकतर भोरगीत वैष्णव धरम के स्तम्भ माने जाने वाले श्रीम