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आवाज़ के वाहक

हिन्द-युग्म ने इंटरनेट की जुगलबंदी से दुनिया भर में फैले युवा संगीतकारों, गीतकारों, गायकों, संगीत आलेखकों, संगीत समीक्षकों और वाचकों इत्यादि को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया है। संगीत के हर पहलू का युग्म (जोड़) है हमारा यह प्रयास आवाज। संगीतकार हिन्द-युग्म ने १७ संगीतकारों की मदद से कुल ३७ गीत तैयार कर लिये हैं। वर्तमान में १५ संगीतकार अलग-अलग गीतों पर काम कर रहे हैं। 14. शिशिर पारखी , 15. कुमार आदित्य विक्रम

कहानी 'एक और मुखौटा' का पॉडकास्ट

पिछले महीने हिन्द-युग्म ने कहानियों के पॉडकास्ट के प्रसारण की शुरूआत की थी। आज हम आपके समक्ष दूसरा पॉडकास्ट लेकर प्रस्तुत हैं। इस बार श्रीकांत मिश्र 'कांत' , शोभा महेन्द्रू और श्वेता मिश्रा की टीम ने रंजना भाटिया की कहानी 'एक और मुखौटा' का पॉडकास्ट बनाया। अपने प्रयास में हिन्द-युग्म की यह टीम कितनी सफल रही है, ये तो आप श्रोता ही बतायेंगे। नीचे के प्लेयर से सुनें और ज़रूर बतायें कि कैसा लगा? (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो यहाँ से डाउनलोड कर लें।

नाता (अनुपमा चौहान की आवाज़ में गीत)

७ मार्च २००७ को हिन्द-युग्म पर एक गीत प्रकाशित हुआ था 'नाता' । आज हम उसी गीत को इसकी रचनाकार अनुपमा चौहान की आवाज़ में रिकार्ड करके आपके सेवा में दुबारा उपस्थित हुए हैं। आशा है आपको पसंद आयेगा। स्वर- अनुपमा चौहान बोल- नाता नीचे ले प्लेयर से सुनें और ज़रूर बतायें कि कैसा लगा? (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)

ज़िंदा हो गया है (कहानी)

हमने पॉडकास्ट ब्लॉग 'आवाज़' की शुरूआत सूरज प्रकाश की कहानी 'एक जीवन समांतर' से की थी। आज कहानी सुनाने के क्रम में हम लाये हैं राजीव रंजन प्रसाद के स्वर में इन्हीं की कहानी 'ज़िंदा हो गया है' । यह कहानी कहानी-कलश पर २६ सितम्बर २००७ को प्रकाशित है। नीचे ले प्लेयर से सुनें और ज़रूर बतायें कि कैसा लगा? (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें) VBR MP3 64Kbps MP3 Ogg Vorbis

बाल-दिवस - किसके लिए?

कुछ दिनों पूर्व हिन्द-युग्म जब नवम्बर माह की प्रतियोगिता से हमने पंखुड़ी कुमारी की कविता 'बाल दिवस -किसके लिए?' प्रकाशित की थी तो हमारे एक पाठक शैलेश चन्द्र जम्लोकी (मुनि) ने अनुरोध किया था कि इस कविता को सुरों में ढाला जाना चाहिए। हमने स्वरबद्ध तो नहीं किया है लेकिन हाँ, विकास कुमार की आवाज़ में पॉडकास्ट अवश्य कर रहे हैं। नीचे ले प्लेयर से सुनें और ज़रूर बतायें कि कैसा लगा? (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें) VBR MP3 64Kbps MP3 Ogg Vorbis

तरबूज का भूत

पिछले महीने हिन्द-युग्म ने उद्‌घोषणा की थी कि जल्द ही प्रो॰ राजीव शर्मा की आवाज में उन्हीं की व्यंग्य कविताएँ पॉडकास्ट की जायेंगी। आज हम पहली व्यंग्य कविता लेकर हाज़िर हैं। विपुल शुक्ला के सहयोग से प्रो॰ राजीव शर्मा की व्यंग्य रचना 'तरबूज का भूत' हम तक पहुँच सका है। नीचे ले प्लेयर से सुनें और ज़रूर बतायें कि कैसा लगा? (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें) VBR MP3 64Kbps MP3 Ogg Vorbis

कहानी का प्रसारण

हिन्द-युग्म बहुत समय से ऐसा विचार कर रहा था कि कहानी-कलश का पॉडकास्ट करे साथ ही साथ महान कहानीकारों की कहानियों का पॉडकास्ट करे। हिन्द-युग्म के दमदार आवाज़ विकास कुमार ने महान कथाओं को पॉडकास्ट का काम 'सुनो कहानी' पर शुरू भी कर दिया है। आज हम इसी दिशा में अगली कोशिश कहानी-कलश की कहानी का पॉडकास्ट प्रसारित करके कर रहे हैं। पहली कहानी है वरिष्ठ कथाकार सूरज प्रकाश की कहानी 'दो जीवन समांतर'। जिसे आवाज़ दिया है श्रीकांत मिश्र 'कांत' और शोभा महेन्द्रू ने। मज़ेदार बात यह है हमने यह ऑडियो भी इंटरनेट के कमाल से बनाया है। जीटॉक पर ही पूरा अभिनय हुआ है। श्रीकांत मिश्र 'कांत' ने चंडीगढ़ से तो शोभा महेन्द्रू ने फ़रीदाबाद से अपनी आवाज़ दी है। (परिचय स्वर- श्वेता मिश्र) नीचे ले प्लेयर से सुनें और ज़रूर बतायें कि कैसा लगा? (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) ज़रूर बतायें कि हमारा यह प्रयास कैसा लगा?