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बैठी हूँ तेरी याद का लेकर के सहारा....पकिस्तान जाकर भी नूरजहाँ नहीं भूली एक पल को भी हिन्दुस्तान के प्यार को

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 209 'ओ आज है २१ सितंबर। इस भागदौड़ भरी ज़िंदगी और व्यस्ततता के बीच हम अक्सर भूल जाते हैं गुज़रे ज़माने के उन सितारों को जिनकी चमक आज भी रोशन कर रही है फ़िल्म संगीत के ख़ज़ाने को। आज है मलिका-ए-तरन्नुम नूरजहाँ का जनम दिवस। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की महफ़िल में आज नूरजहाँ की याद में हम आप को सुनवा रहे हैं "बैठी हूँ तेरी याद का लेकर के सहारा, आ जाओ के चमके मेरी क़िस्मत का सितारा"। फ़िल्म 'गाँव की गोरी' का यह गीत है जिसे 'विलेज गर्ल' की भी शीर्षक दिया गया था। हो सकता है अंग्रेज़ सरकार को ख़ुश करने के लिए!!! यह १९४५ की फ़िल्म थी, और दोस्तों मुझे ख़याल आया कि शायद यह 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर अब तक बजने वाला सब से पुराना गीत होना चाहिए। १९४५ में नूरजहाँ की लोकप्रियता अपने पूरे शबाब पर थी। 'भाईजान', 'गाँव की गोरी', 'ज़ीनत', और 'बड़ी माँ' जैसी फ़िल्मों के गानें गली गली गूँज रहे थे। 'गाँव की गोरी' के संगीतकार थे श्यामसुंदर और गीतकार थे वली साहब। नूरजहाँ का गाया इस फ़िल्म का प्रस्तुत गीत ना केवल इस