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मगर चादर से बाहर पाँव फैलाना नहीं आता....उस्ताद शायर "यास" यगाना चंगेजी की ग़ज़ल, शिशिर पारखी की आवाज़ में

शिशिर पारखी हिंद युग्म संगीत परिवार के अहम् स्तम्भ हैं. अपनी मखमली आवाज़ और बेजोड़ ग़ज़ल गायन से पिछले लगभग ९-१० महीनों से आवाज़ के श्रोताओं का दिल जीतते रहे हैं. अपनी ग़ज़लों के माध्यम से उन्होंने कई बड़े और उस्ताद शायरों के कलामों को बेहद खूबसूरत अंदाज़ में हमारे रूबरू रखा है. "एहतराम" की सफलता के बाद आजकल शिशिर अपनी दूसरी एल्बम की तैयारी में हैं. देश विदेश के विभिन्न शहरों में कार्यक्रमों में शिरकत के दौरान भी वो आवाज़ पर आना नहीं भूलते, और बीच बीच में अपनी रिकॉर्डइंग हमें भेज कर अपनी आवाज़ के बदलते रूपों से हमें अवगत भी कराते रहते हैं. ऐसी ही उनकी भेजी एक ग़ज़ल आज हम आप सब के साथ बाँट रहे हैं जिसे उन्होंने धुन और अपनी आवाज़ देकर सजाया है. आज जिस शायर को शिशिर हमारे रूबरू लेकर आये हैं वो उस्ताद शायर हैं, मिर्जा यास यगाना चंगेजी (शायर के बारे में अधिक जानकारी जल्द ही उपलब्ध होगी) मुझे दिल की खता पर 'यास' शर्माना नहीं आता. पराया जुर्म अपने नाम लिखवाना नहीं आता बुरा हो पा-ए-सरकश का कि थक जाना नहीं आता कभी गुम राह हो कर राह पर आना नहीं आता मुझे ऐ नाखुदा आखिर किसी

ख्याल-ए-यार सलामत तुझे खुदा रखे...जिगर मुरादाबादी की ग़ज़ल और शिशिर की आवाज़

पुणे के शिशिर पारखी हालाँकि हमारे नए गीतों से प्रत्यक्ष रूप से नहीं जुड़ सके पर श्रोताओं को याद होगा कि उनके सहयोग से हमने उस्ताद शायरों की एक पूरी श्रृंखला आवाज़ पर चलायी थी, जहाँ उनकी आवाज़ के माध्यम से हमने आपको मिर्जा ग़ालिब , मीर तकी मीर , बहादुर शाह ज़फर , अमीर मिनाई , इब्राहीम ज़ौक , दाग दहलवी और मोमिन जैसे शायरों की शायरी और उनका जीवन परिचय आपके रूबरू रखा था. उसके बाद हमने आपको शिशिर का के विशेष साक्षात्कार भी किया था. शिशिर आज बेहद सक्रिय ग़ज़ल गायक हैं जो अपनी पहली मशहूर एल्बम "एहतराम" के बाद निरंतर देश विदेश में कंसर्ट कर रहे हैं बावजूद इसके वो रोज आवाज़ पर आना नहीं भूलते और समय समय पर अपने कीमती सुझाव भी हम तक पहुंचाते रहते हैं. आज फिर एक बार उनकी आवाज़ का लुत्फ़ उठाईये. ये लाजवाब ग़ज़ल है शायरों के शायर जिगर मुरादाबादी की - तेरी ख़ुशी से अगर गम में भी ख़ुशी न हुई, वो जिंदगी तो मोहब्बत की जिंदगी न हुई. किसी की मस्त निगाही ने हाथ थाम लिया, शरीके हाल जहाँ मेरी बेखुदी न हुई, ख्याल -ए- यार सलामत तुझे खुदा रखे, तेरे बगैर कभी घर में रोशनी न हुई. इधर से भी है सिवा कुछ उधर की मजबू