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‘ना रास्ता है ना कोई मंज़िल...’ : TAZA SUR TAAL : Roar - Tigers Of The Sundarban

ताज़ा सुर-ताल   नई फिल्म रोर - टाइगर ऑफ सुन्दरबन के क्लब डांस और रॉक पॉप गीत   'खतरा है, इस बस्ती में, इसमें अब जो फँसा...'   अ पने श्रोताओं / पाठकों को नई फिल्मों के संगीत से परिचित कराने के उद्देश्य से ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के स्तम्भ ‘ताज़ा सुर-ताल’ में हम प्रदर्शित होने वाली किसी फिल्म का गीत-संगीत आपको सुनवाते हैं। आज के अंक में हम आपको अगले सप्ताह 31 अक्तूबर , 2014 को प्रदर्शित होने वाली फिल्म, ‘रोर - टाइगर ऑफ सुन्दरबन’ के दो गाने सुनवा रहे हैं। अबिस रिजवी द्वारा निर्मित और कमल सदाना द्वारा निर्देशित यह फिल्म आदमखोर बाघों से स्वयं को बचाने और बाघों के संरक्षण के संघर्ष की दास्तान है। फिल्म के प्रस्तुत दो गीतों में से पहले गीत का शीर्षक है ‘रूबरू’ और दूसरे गीत का शीर्षक ‘खतरा’ है। इन गीतों के गीतकार क्रमशः इरफान सिद्दीकी और कार्तिक चौधरी हैं। गीतों के संगीतकार रमोना एरेना हैं। पहला ‘रूबरू’ एक क्लब डांस गीत है, जिसे अदिति सिंह ने गाया है। दूसरा गीत ‘खतरा’ रॉक पॉप है, जिसे गायिका नीति मोहन ने आवाज़ दी है। लीजिए, फिल्म ‘रोर टाइगर ऑफ सुन्दरबन’ के इ

एक चुराई हुई धुन के मोहताज़ हुए ज़रदोज़ी लम्हें

ताज़ा सुर ताल - ज़रदोज़ी लम्हें  अक्सर हमारे संगीतकार विदेशी धुनों की चोरी करते हुए पकडे जाते हैं, पर आज जिक्र एक ऐसे नए गीत का जो लगभग २० साल पहले बना एक खूबसूरत मगर कमचर्चित गीत हिंदी गीत की ही हूबहू नक़ल है. 1996 में बाली सागू जो भारत में रेमिक्सिंग के गुरु माने जाते हैं, ने अपनी पहली मूल गीतों की एल्बम 'रायिसिंग फ्रॉम द ईस्ट' लेकर आये. संगीत प्रेमियों ने इस एल्बम को हाथों हाथ लिया, तुझ बिन जिया उदास, दिल चीज़ है क्या   और नच मलंगा  जैसे हिट गीतों के बीच उदित नारायण का गाया बन में आती थी एक लड़की   शायद कुछ कम सुना ही रह गया था, और इसी बात का फायदा उठाया आज के संगीतकार संजीव श्रीवास्तव ने और फिल्म रोवोल्वर रानी  में इसी तर्ज पर बना डाला ज़रदोज़ी लम्हें .  लीजिये पहले सुनिए बाली सागू का बन में आती थी एक लड़की  और अब सुनिए ये बेशर्म नक़ल, वैसे फिल्म रेवोल्वर रानी   में कुछ बेहद अच्छे गीत भी हैं, जिनकी चर्चा फिर कभी...       

होंठों को मुस्कुराने और गुनगुनाने की वजह देती अरिजीत की आवाज़

ताज़ा सुर ताल - मुस्कुराने  (सिटी लाईट्स) दोस्तों पिछले करीब २ सालों से हम सब इस युवा गायक के दीवाने हो रखे हैं, उस का हर नया गीत भीतर एक गहरी हलचल पैदा कर देता है और हम सब की छुपी या जाहिर आशिकी को जैसे आवाज़ मिल जाती है. रोमानियत को गहरे से आत्मसात करती ये आवाज़ है अरिजीत सिंह की. ताज़ा प्रस्तुति में आज फिर से अरिजीत का जादू महकेगा, गीत के बोल है.. मुकुराने की वजह तुम हो...  और इस गीत को वजह और वजूद दिया है जीत गांगुली ने. कभी प्रीतम के जोड़ीदार रहे जीत के लिए खुद प्रीतम ने एक बार कहा था कि जब लोग जीत की काबिलियत को समझेगें तो उसके दीवाने हो जायेगें, प्रीतम दा की ये बात एकदम सही लग रही है आज के सन्दर्भ में. धीरे धीरे श्रोता जीत की जादू भरी धुनों में डूब रहे हैं इन दिनों. फिल्म सिटी लाईट्स का है ये गीत. इस फिल्म में हमें दुबारा दिखेगा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित निर्देशक हंसल मेहता और अभिनेता राजकुमार राव की बेमिसाल जोड़ी का नया अंदाज़. आप में से जिन दर्शकों ने इनकी ' शाहिद ' देखी हो उन्हें यक़ीनन इस फिल्म का बेहद बेसब्री से इंतज़ार होगा. फिल्म को महेश भट्ट लेकर आ रहे हैं

दिल्ली और लाहौर के बीच बंटी संवेदनाएं

ताज़ा सुर ताल - जो दिखते हो  लकीरें है तो रहने दो, किसी ने रूठ कर गुस्से में खींच दी थी..उन्हीं को अब बनाओ पाला आओ कबड्डी खेलते हैं...लकीरें है तो रहने दो ....गुलज़ार साहब ने इन्हीं शब्दों के साथ इस फिल्म को आगाज़ दिया है. क्या दिल्ली क्या लाहौर  एक अलग तरह का अंदाज़े बयां है जो बंटवारे का दर्द बेहद संवेदनशीलता से प्रस्तुत करती है. अभिनेता विजय राज़ की ये पहली फिल्म है बतौर निर्देशक. फिल्म में विजय राज़ के साथ हैं अभिनेता मनु ऋषि जो फिल्म के संवाद लेखक भी हैं. वैसे फिल्म में गीत संगीत का पार्श्व संगीत की तरह ही इस्तेमाल हुआ है, पर जब गीत लिखे हों गुलज़ार साहब ने और संगीत हो सन्देश संदलिया का तो गीत की एक चर्चा तो बनती ही है. तो लीजिये आज सुनिए ताज़ा सुर ताल में इसी फिल्म का एक गीत जिसे गुलज़ार साहब ने इतने खूबसूरत अंदाज़ में लिखा है कि पूरी फिल्म का सार सिमट के आ जाता है इस नन्हें से गीत में, शफकत अमानत अली खान साहब की परिपक्व आवाज़ में सुनिए जो दिखते हो....

लम्बी जुदाई की विसिल और युवा श्रोफ का बाजा

ताज़ा सुर ताल - विसिल बाजा   सुपर स्टार जैकी श्रोफ को फिल्मों में मौका दिया सदाबहार देव साहब ने, मगर उन्हें असली पहचान मिली सुभाष घई कृत हीरो  की जबरदस्त कमियाबी से. कौन इनकार कर सकता है कि फिल्म हीरो  की कामियाबी में लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के संगीत का महत्वपूर्ण योगदान था. फिल्म का हर गीत आज तक श्रोताओं के दिलो जेहन में बसा हुआ है. बरसों बाद जब जैकी के सुपुत्र टाइगर को फिल्मों में लांच करने की बारी आई तो जैकी को याद आई फिर एक बार अपनी पहली हिट फिल्म के गीतों की. मरहूम रेशमा का गाया लम्बी जुदाई  गीत में एक बेहद खूबसूरत बांसुरी का पीस था. सालों बाद हीरोपंती  में अब उसी मधुर धुन को विसिल में बजाया गया है, और सच कहें तो यही इस गीत की सबसे बड़ी खूबी है. गीत में आगे पीछे क्या गाया जा रहा है इस पर ध्यान ही नहीं जाता बस इंतज़ार रहता है की कब ये धुन बजे. कहना गलत नहीं होगा की टाईगर इस गीत पर जम कर नाचे हैं, यक़ीनन उनमें एक भावी सुपर स्टार के सभी गुण दर्शित हो रहे हैं. मंजीत, निंदी और कौर रफ़्तार के गाये इस गीत में भरपूर पंजाबियत है, और भरपूर मौज मस्ती भी....लीजिये सुनिए ये कदम थिरकाता गीत आ

टूटे तारे उठा ले...उनसे चंदा बना ले...प्रेरणा के स्वर पोपोन की आवाज़ में

ताज़ा सुर ताल --2014-18 सुन री बावली तू अपने लिए, खुद ही मांग ले दुआ, कोई तेरा न होना... केश में सूरज खोंस के चलना, कभी कोई रात मिले न  .... ये हों वो ऊर्जामयी शब्द जो नागेश कुकनूर की मर्मस्पर्शी फिल्म लक्ष्मी  में नायिका की प्रेरणा बन जाता है. मनोज यादव के लिखे इस बेमिसाल गीत को अपनी आवाज़ और सशक्त अभिव्यक्ति से निखारा है आज के दौर के सबसे जबरदस्त गायकों में से एक अंगराग महंता ने जिसे हम सब पोपोन के नाम से अधिक जानते हैं. हम फिल्म की चर्चा पीछले हफ्ते भी कर चुके हैं, आपको बता दें कि एक सेंसर से चली एक लम्बी जंग के बाद अधिर्कार इस माह ये फिल्म प्रदर्शित हो ही गयी मगर केवल सीमित सिनेमा घरों में ही. फिल्म में नागेश ने खुद भी एक अहम् भूमिका की है, साथ ही सतीश कौशिक, राम कपूर और शेफाली छाया (शाह) भी हैं मगर शीर्षक भूमिका मोनाली ने कमाल का काम किया है, कभी मौका लगे तो देखिएगा इस फिल्म को.  फिल्म के सभी गीत पार्श्व संगीत का हिस्सा अधिक हैं, और फिल्म का पार्श्व का पूरा जिम्मा तापस ने उठाया है. अहमदाबाद से मुंबई आये तापस रेलिया को सबसे पहले मौका दिया विधु विनोद चोपड़ा ने फिल्म फरारी

दुल्हन को मैचिंग दूल्हा लाये हैं शंकर एहसान लॉय 'हुलारे' में

ताज़ा सुर ताल  -2014-17 करन जौहर और साजिद नाडियाडवाला लाये हैं चेतन भगत की कहानी पर आधारित 2 States.  अलिया भट्ट और अर्जुन कपूर अभिनीत ये फिल्म आज यानी १८ अप्रैल को प्रदर्शन आरंभ कर रही है. फिल्म कैसी है ये आप लोग देख कर हमें बताएगें. फिलहाल हम इस फिल्म का एक और गीत आज सुनने जा रहे है, जो है पूरी तरह मस्ती से भरा और कदम थिरकाने वाला.  फिल्म की संगीत जोड़ी है अमिताभ भट्टाचार्य और शंकर एहसान लोय की तिकड़ी का. शादी के माहौल का ये गीत एक बार फिर 'सेल' तिकड़ी की मशहूर छाप लिए हुए है. ढोल का सुन्दर प्रयोग है. पार्श्व गायन है खुद शंकर के साथ सिद्धार्थ महादेवन और रसिका शेखर का. तो लीजिये झूमने को कमर कस लें इस गीत के साथ.    

भूतों की पार्टी से गर्माया चुनावी मैदान तो उठी भीतर से ये पुकार

ताज़ा सुर ताल २०१४ -१४ दो स्तों लोक सभा के चुनाव शुरू हो चुके हैं, और कुछ ही दिनों में देश को उसका नया प्रधानमन्त्री मिल जाएगा. मगर ये तभी संभव होगा जब हम लोग जाती धर्म उंच नीच के दायरों से उठकर अपने अपने मतों का प्रयोग करें, साफ़ और सवच्छ छवि वाले, देश के हिट की सोचने वाले प्रतिनिधियों को चुनकर संसद में भेजें. ताकि देश तरक्की और अमन परस्ती की राह पर आगे बढ़ सके. चुनावी माहौल में हमें अपने मत का महत्त्व समझाती फिल्म है नितीश तिवारी   निर्देशित भूतनाथ रिटर्न्स  जो कुछ सालों पहले आई भूतनाथ का दृतीय संस्करण है. अमिताभ अभिनीत भूतनाथ  को बच्चों और बड़ों दोनों का भरपूर प्यार मिला था, आज भी जब ये फिल्म छोटे परदे पर आती है तो हर कोई इसे देखने के लिए मचल उठता है, ऐसे में इस दृतीय संस्करण से भी ढेरों उम्मीदें हैं. हालाँकि पहले संस्करण में संगीत पर अधिक जोर नहीं दिया गया था, पर इस बार इस कमी को भी पूरा कर दिया गया है. फिल्म के गीत पार्टी तो बनती है  और हर हर गंगे  खूब सुना जा रहा है. पर आज हम आपके लिए लाये हैं फिल्म का एक अन्य गीत.  राम संपत का स्वरबद्ध और ऋतुराज के गाये इस गीत में एक प्

संगीत में उफान और शब्दों में कुछ उबलते सवाल

ताज़ा सुर ताल -2014 - 13 दोस्तों देश भर में चुनावी माहौल गरम है. हर नेता अपने लोकलुभावन नारों से मतदाताओं के दिल जीतने की जुगत में लगा है. गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, मुद्दे सभी वही पुराने हैं, बहुत कुछ बदला पर सोचो तो कुछ भी नहीं बदला, इतने विशाल और समृद्ध देश की संपत्ति पर आज भी बस चंद पूंजीपति फन जमाये बैठे हैं. समाज आज भी भेद भाव, छूत छात जैसी बीमारियों में कैद है. बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा से खिलवाड़ है तो न्याय और सच्चाई की आवाज़ भी कहीं राख तले दबी सुनाई देती है. कितने गर्व से हम गाते आये हैं सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा...  मगर वो सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान आज है कहाँ ? यही वो खौलता सा सवाल है जो गीतकार इरशद कामिल ने फिल्म कांची  के गीत में उठाया है. आज ताज़ा सुर ताल में है इसी गीत की बारी. एकदम नए कलाकारों को लेकर आये हैं दिग्गज निर्माता निर्देशक सुभाष घई. घई साहब अपनी फिल्मों में संगीत पक्ष पर ख़ास पकड़ रखते हैं, लम्बे समय तक उनके चेहेते रहे लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और आनंद बक्शी. बख्शी साहब के साथ तो उनका काफी लम्बा साथ रहा, और उन्होंने रहमान से भी उनके लिखे गीतों क

यो यो और मीका भी बने मस्त कलंदर के दीवाने

ताज़ा सुर ताल 2014-11 दोस्तों नए गीतों की दुनिया में एक बार फिर से स्वागत है आप सबका। आज सबसे पहले बात हनी सिंह, जी हाँ वही 'यो यो' वाले।  यूं तो भारतीय श्रोताओं के लिए रैप गायन शैली को बहुत पहले ही बाबा सेहगल सरीखे गायक परोस चुके हैं, पर जो कामियाबी यो यो ने हासिल की उसका कोई सानी नहीं।  हनी सिंह ने बहुत से नए पंजाबी गायकों को हिट गीत दिए गाने के लिए और उनपर अपने रैप का जो तड़का लगाया उसे सुन युवा श्रोता झूम उठे।  उनके रैप के शब्द भी ऐसे जैसे इस दौर के युवाओं की बात हो रही हो बिना अलग लाग लपेट।  सबसे अच्छी खासियत उनकी ये रही कि समय के साथ साथ वो अपने संगीत में भी नए प्रयोग लाते रहे।   लुंगी डांस  के लिए रजनीकान्त का अंदाज़ चुरा लिया तो कभी गुलज़ार साहब के क्लास्सिक तेरे बिना ज़िन्दगी से  को रैप के सांचे में ढाल लिया।  उनका ताज़ा प्रयोग रहा हिंदी फ़िल्मी संगीत के आज के सबसे हिट गायक मिका सिंह के साथ जुगलबंदी करना। मिका और यो यो साथ आये हैं एक सूफियाना गीत के साथ. वैसे इस गीत दमा दम मस्त कलंदर  का भी इतिहास पुराना है।  मूल रूप से अमीर खुसरो के रचे  इस इबादत को बाबा बुल्लेशाह ने अ

सरहदों की दूरियां संगीत से पाटते अली ज़फर और अमित त्रिवेदी

ताज़ा सुर ताल - 09 -2014 ताज़ा सुर ताल के एक और नए एपिसोड में आप सब का स्वागत है. आज हम आपको मिलवा रहे हैं सरहद पार से आये एक जबरदस्त फनकार से जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. पाकिस्तान के पॉप संशेशन अली ज़फर न सिर्फ एक बहतरीन गायक हैं बल्कि एक अच्छे अभिनेता, संगीतकार, और गीतकार भी हैं. आने वाली फिल्म टोटल सयापा  में अली इन सभी भूमिकाओं में नज़र आयेगें. बतौर गीतकार इस फिल्म में उन्होंने आशा  नाम का गीत लिखा है, फिल्म का काम पूरी तरह खत्म होने के बाद फिल्म के अपने साथी किरदार को जेहन में रख कर लिखा गया ये गीत, फिल्म का हिस्सा नहीं है पर एल्बम में अवश्य शामिल है. वैसे इस एल्बम में जिसे पूरी तरह से अली का ही एल्बम कहा जायेगा, मात्र एक ही युगल गीत है, जिसे आज हमने चुना है आपके लिए. अकील रूबी का लिखा ये गीत सदा लुभावन अरेबिक मिजाज़ का है, जिसमें रुबाब का सुन्दर इस्तेमाल हुआ है. फरिहा परवेज हैं अली के साथ इस गीत में. नहीं मालूम  निश्चित ही एक ऐसा गीत है जिसे आप बार बार सुनना चाहेगें.  आज के एपिसोड का दूसरा गीत है, मेरे बेहद पसंदीदा संगीतकार अमित त्रिवेदी का. दोस्तों अक्सर हम लोगों

मिष्टी दोई जैसी बप्पी दा की आवाज़ और "घंटी गीत" बना साल का पहला देशव्यापी हिट

ताज़ा सुर ताल - 2014 - 08   बप्पी दा  दोस्तों, साल 2014 के दो माह बीतने को हैं, और अब तक हम आपको 14 गीत सुनवा चुके हैं. आज हम आपको सुनवायेंगे दो ऐसे गीत जो लोकप्रियता के लिहाज से शीर्ष पायदानों पर विराजमान हैं, और ये दोनों ही गीत एक ही फिल्म से हैं. फिल्म "गुण्डे" के बारे में आपको बता दें कि ये फिल्म हिंदी के साथ साथ बांग्ला में भी बनी है. और इसका मशहूर घंटी गीत  बांग्ला में बप्पी दा ने गाया है. वैसे संगीतकार सोहैल सेन ने हिंदी संस्करण में भी बप्पी दा को क्रेडिट दिया है. हिंदी संस्करण आज पूरे भारत में धूम मचा रहा है, मगर हम आपको सुनवा रहे हैं गीत का बांग्ला संस्करण जिसे बप्पी दा से एकदम मस्त गाया है. सुनते सुनते झूमने लगो तो हमें दोष मत दीजियेगा... नेहा बाशिन  क्यों दोस्तों, मज़ा आया न...? चलिए अब बढते हैं गुण्डे   के एक और गीत की तरफ जो है एक कैब्रेट गीत. असलमे इश्कुम  फिल्माया गया है प्रियंका चोपडा पर और उनके लिए पार्श्व गायन किया है नेहा भासिन ने, जी हाँ वही जिनकी धुनकी  ने आपको दीवाना बना दिया था. नेहा आज की एक चर्चित आवाज़ का नाम है पर अपने आरंभि

आईये घूम आयें बचपन की गलियों में इन ताज़ा गीतों के संग

ताज़ा सुर ताल - 2014 -07 - बचपन विशेष  जेब (बाएं) और हनिया  ताज़ा सुर ताल की एक और कड़ी में आपका स्वागत है, आज जो दो नए गीत हम चुनकर लाये हैं वो यक़ीनन आपको आपके बचपन में लौटा ले जायेगें. हाईवे  के संगीत की चर्चा हमने पिछले अंक में भी की थी, आज भी पहला गीत इसी फिल्म से. दोस्तों बचपन की सबसे खूबसूरत यादों में से एक होती है माँ की मीठी मीठी लोरियाँ जिसे सुनते हुए कब बरबस ही नींद आँखों में समा जाती थी पता भी नहीं चलता था. इन दिनों फिल्मों में लोरियाँ लौट सी आई है, तभी तो राऊडी राठोड  जैसी जबरदस्त व्यवसायिक फिल्मों में भी लोरियाँ सुनने को मिल जाती हैं. पर यकीन मानिये हाईवे की ये लोरी अब तक की सुनी हुई सब लोरियों से अल्हदा है, इस गीत में गीतकार इरशाद की मेहनत खास तौर पे कबीले तारीफ है. सुहा यानी लाल, और साहा यानी खरगोश, माँ अपने लाडले को लाल खरगोश कह कर संबोधित कर रही है, शब्दों का सुन्दर मेल इरशाद ने किया है उसका आनंद लेने के लिए आपको गीत बेहद ध्यान से सुनना पड़ेगा. रहमान की धुन ऐसी कि सुन कर उनके कट्टर आलोचक भी भी उनकी तारीफ किये बिना नहीं रह पायेगें. आखिर यूहीं तो नहीं उन्हें

बॉलीवुड में उतरी नूरां बहनें तो शेखर रव्जिवानी भी पहुंचें माईक के पीछे

ताज़ा सुर ताल # 2014-06 खुद गायक सोनू निगम मानते हैं कि संगीतकार विशाल ओर शेखर न सिर्फ एक बहतरीन संगीतकार जोड़ी है बल्कि दोनों ही बहुत बढ़िया गायक भी है. विशाल तो अन्य बड़े संगीतकारों जैसे शंकर एहसान लॉय और विशाल भारद्वाज के लिए भी गायन कर चुके हैं. आज हम सुनेगें, इस जोड़ी के दूसरे संगीतकार की रूमानी गायिकी. दोस्तों क्या आप जानते हैं कि विशाल दादलानी और शेखर रव्जिवानी को प्यार में कभी कभी  के लिए अलग अलग तौर पर संगीतकार चुना गया था, चूँकि दोनों एक दूसरे से परिचित थे तो इन्होने अपनी अपनी धुनों को एक दूसरे के साथ बांटा और इसी दौरान उन्हें महसूस हुआ कि वो मिलकर कुछ बड़ा धमाल कर सकते हैं. यहीं से शुरुआत हुई विशाल शेखर की ये जोड़ी. ओम शान्ति ओम  के बाद वो शाहरुख के पसंदीदा संगीतकारों में आ गए, और पिछले ही साल चेन्नई एक्सप्रेस  की कामियाबी ने इस समीकरण को और मजबूत कर दिया. शाहरुख के साथ साथ निर्देशक करण जौहर भी उनके खास मुरीद रहे हैं, करण द्वारा निर्मित बहुत सी फिल्मों में विशाल शेखर सुरों का जादू चला चुके हैं. इसी कड़ी की ताज़ा पेशकश है हँसी तो फँसी  जहाँ विशाल शेखर के साथ जुड़े हैं गीतकार

कोई इश्क की नामुरादी को रोया तो वफ़ा की तलाश में खोया

ताज़ा सुर ताल - 2014 - 05  : शब्द प्रधान गीत   विशेष  ताज़ा सुर ताल के इस अंक में आपका एक बार फिर से स्वागत है दोस्तों, आज का ये अंक है शब्द प्रधान गीत विशेष. आजकल गीतों में शब्दों के नाम पर ध्यान आकर्षित करने वाले जुमलों की भरमार होती है, संगीतकार अपने हर गीत को बस तुरंत फुरंत में हिट बना देना चाहते हैं, अक्सर ऐसे गीत चार छे हफ़्तों के बाद श्रोताओं के जेहन से उतर जाते हैं. ऐसे में कुछ ऐसे गीतों का आना बेहद सुखद लगता है जिन पर शाब्दिक महत्त्व का असर अधिक हो, आज के अंक में हम ऐसे ही दो गीत चुन कर लाये हैं आपके लिए. पहले गीत के रचनाकार हैं शायर अराफात महमूद ओर इसे सुरों से सजाया है संगीतकार गौरव डगाउंकर ने. गायक के नाम का आप अंदाजा लगा ही सकते हैं, जी हाँ अरिजीत सिंह... उत्सव  से अभिनय की शुरुआत कर शेखर सुमन ने फिल्म ओर टेलीविज़न की दुनिया में अपना एक खास मुकाम बनाया है. हार्टलेस   बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म है जिसमें अभिनय कर रहे हैं उनके सुपुत्र अध्यायन सुमन. चलिए अब बिना देर किये हम आपको सुनवाते हैं ये खूबसूरत गज़ल नुमा गीत.  मैं ढूँढने को ज़माने में जब वफ़ा निकला  पता चला कि

रेखा भारद्वाज का स्नेह निमंत्रण ओर अरिजीत की रुमानियत भरी नई गुहार

ताज़ा सुर ताल - 2014 -04  हमें फिल्म संगीत का आभार मानना चाहिए कि समय समय पर हमारे संगीतकार हमारी भूली हुई विरासत ओर नई पीढ़ी के बीच की दूरी को कुछ इस तरह पाट देते हैं कि समय का लंबा अंतराल भी जैसे सिमट गया सा लगता है. मेरी उम्र के बहुत से श्रोताओं ने इस ठुमरी को बेगम अख्तर की आवाज़ में अवश्य सुना होगा, पर यक़ीनन उनसे पहले भी लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह के दरबार से निकली इस अवधी ठुमरी को बहुत से गुणी कलाकारों ने अपनी आवाज़ में ढाला होगा. लीजिए २०१४ में स्वागत कीजिये इसके एक ओर नए संस्करण का जिसे तराशा संवारा है विशाल -गुलज़ार के अनुभवी हाथों ने ओर आवाज़ के सुरमे से महकाया है रेखा भारद्वाज की सुरमई आवाज़ ने. मशहूर अभिनेत्री ओर कत्थक में निपुण माधुरी दीक्षित नेने एक बार फिर इस फिल्म से वापसी कर रही हैं रुपहले परदे पर. जी हाँ आपने सही पहचाना, देढ इश्किया  का ये गीत फिर एक बार ठुमरी को सिने संगीत में लौटा लाया है, हिंदी फिल्मों के ठुमरी गीतों पर कृष्णमोहन जी रचित पूरी सीरीस का आनंद हमारे श्रोता उठा चुके हैं. आईये सुनते हैं रेखा का ये खास अंदाज़....शब्द देखिये आजा गिलौरी खिलाय दूँ खिमामी, लाल

धूम मचाती कमली ओर यारियाँ का अल्लाह वारियाँ

ताज़ा सुर ताल - 2014 -03  ताज़ा सुर ताल की नई कड़ी में आप सब का स्वागत है, नए साल के पहले महीने में भी धूम ३ की धूम जारी है. कहना गलत नहीं होगा कि फिल्म की सफलता में इसके संगीत की भी जबरदस्त भूमिका रही है. धूम ३ से एक ओर धमाकेदार गीत लेकर आज हम हाज़िर हैं. सुनिधि चौहान के क्या कहने, आईटम गीतों के लिए तो वो संगीत निर्देशकों की पहली पसंद मानी जा सकती हैं. यूँ धूम ३ के इस गीत को पूरी तरह एक आईटम गीत भी नहीं कहा जा सकता, पर सुनिधि ने गीत में जो ऊर्जा फूंकी है वो अविश्वसनीय है. गीत की आरंभिक पक्तियों से ही वो श्रोताओं को अपने साथ जोड़ लेती है ओर अगले ४ मिनट तक उस पकड़ में कहीं कोई लचक नहीं छूटती. इस गीत का जिक्र हो ओर प्रीतम दा के अद्भुत संगीत संयोजन की तारीफ न हो ये संभव नहीं है. ये गीत वेस्टर्न रिदम पर शुद्ध भारतीय वाद्यों की जबरदस्त जुगलबंदी करता है. गीत के प्रिल्यूड में ओर इंटरल्यूड में सितार का प्रयोग तो लाजवाब है. सुनिए ये दमदार गीत जिसे लिखा है समीर साहब ने.     नए साल की पहली हिट फिल्म है टीनएज लव की दास्ताँ कहती टी सीरीस की यारियाँ . इस फिल्म के गीत भी खासा पसंद किये

बॉलीवुड के खान'दान की संगीतमयी भिडंत

ताज़ा सुर ताल - 2014 - 02 ताज़ा सुर ताल के नए अंक में आपका स्वागत है. आज हम आमने सामने ला रहे हैं बॉलीवुड के दो बड़े 'खान' को. २०१३ के अंत में आई धूम ३ ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. सबसे अधिक कमाई करने वाली इस फिल्म का संगीत भी श्रोताओं को बहुत रास आया है. प्रीतम ने एक बार फिर से साबित किया है ऐसी बड़ी फिल्मों की बागडोर सँभालने में उनसे बेहतर कोई नहीं है. समीर के शब्दों में सूफी रंग बहुत खूब जचा है. भाग मिल्खा भाग  के गीतों से अपनी दमदार उपस्तिथि दर्ज करने के बाद सिद्धार्थ महादेवन ने एक बार फिर अपनी सशक्त आवाज़ से पूरे गीत पर अपनी पकड़ बनाये रखी है, गीत का एक चौंकाने वाला पक्ष रहा शिल्पा राव की आवाज़. अमित त्रिवेदी की टीम का अहम अंग रही शिल्पा ने पिछले साल ही मुरब्बा  ओर मनमर्जियाँ  जैसे गहरे गीत गाए थे, पर मलंग  में उनका एक नया ही सुखद अंदाज़ सुनने को मिला है. कहा जाता है ये बॉलीवुड में अब तक का सबसे महंगा गीत है. देश विदेश से बड़े बड़े जिमनास्टिकों की पूरी फ़ौज है इसमें ओर इस गीत में लगभग ५ करोड का खर्चा आया है. बहरहाल गीत को परदे पर देखना वाकई सुखद है. एक ओर जानकारी आपको दे

नए साल पर टी सीरीस का एक संगीतमय तोहफा : "आई लव न्यू ईयर"

टी सीरीस के भूषण कुमार संगीतमयी रोमांटिक फिल्मों के सफल निर्माता रहे हैं. चूँकि इन फिल्मों का संगीत भी दमदार रहता है तो उनके लिए दोहरे फायदे का सौदा साबित होता है. इस साल आशिकी २ और नौटंकी साला की जबरदस्त सफलता के बाद वो हैट्रिक लगाने की तैयारी में थे आई लव न्यू ईयर के साथ. मगर फिल्म की प्रदर्शन तिथि, एक के बाद एक कारणों से टलती चली गयी. पहले यमला पगला दीवाना २ के प्रमोशन के चलते फिल्म का प्रदर्शन अप्रैल-मई से टल कर सितम्बर कर दिया गया. फिर भूषण और फिल्म के नायक सन्नी देओल के बीच कुछ धन राशि के भुगतान को लेकर मामला छिड़ गया. अब जाकर फिल्म को दिसंबर के अंतिम सप्ताह में जारी करने की सहमती बनी है. फिल्म के शीर्षक के लिहाज से भी ये एक सही कदम है. पर अभी तक फिल्म का प्रचार ठंडा ही दिखाई दे रहा है. बहरहाल हम फिल्म के संगीत की चर्चा तो कर ही सकते हैं.  फिल्म में प्रीतम प्रमुख संगीतकार हैं, मगर एक एक गीत फलक शबीर ( नौटंकी साला वाले), और अनुपम अमोद के हिस्से भी आया है, साथ ही पंचम द के एक पुराने हिट गीत को भी एल्बम में जोड़ा गया है. गीत मयूर पुरी, सईद कादरी और फलक शबीर ने लिखे हैं. फ

सब कुछ पुराना ही है नई जंजीर में

क भी कभी समझना मुश्किल हो जाता है कि एक ऐसी फिल्म जिसे अपने मूल रूप में आज भी बड़े आनंद से देखा जा सकता है, उसका रिमेक क्यों बनाया जाता है. खैर रेमेकों की फेहरिश्त में एक नया जुड़ाव है जंजीर , वो फिल्म जिसने इंडस्ट्री को एंग्री यंग मैन के रूप अमिताभ बच्चन का तोहफा दिया था ७० के दशक में. जहाँ तक फिल्म के प्रोमोस् दिखे हैं नई जंजीर अपने पुराने संस्करण से हर मामले में अलग दिख रही है. ऐसे में इसके संगीत को भी अलग नज़रिए से सुना समझा जाना चाहिए. अल्बम में चार सगीत्कारों का योगदान है. चित्रान्तन भट्ट, आनंद राज आनंद, मीत ब्रोस अनजान और अंकित के सुरों से संवरी इस ताज़ा एल्बम में क्या कुछ है आईये एक नज़र दौडाएं. मिका  की जोशीली आवाज़ में खुलता है एल्बम का पहला गीत मुम्बई के हीरो . बीच के कुछ संवाद तो बच्चन साहब की आवाज़ में है...भाई अगर उन्हीं की आवाज़ चाहिए थी तो फिर रिमेक की क्या ज़रूरत थी ये मेरी समझ से तो बाहर है. एक बोरिंग गीत के बाद एक और जबरदस्ती का आईटम गीत सामने आ जाता है. ममता शर्मा की आवाज़ में पिंकी  अब तक सुनाई दिए आईटम गीतों से न तो कुछ अलग है न बेहतर. शब्द घिसे पिटे और धुन भी रूटीन