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जिसे अंधी गंदी खाईयों से लाए हम बचा के, उस आजादी को हरगिज़ न मिटने देंगें- ये प्रण लिया वी डी, बिस्वजीत और सुभोजीत ने

Season 3 of new Music, Song # 16 ६३ वर्ष बीत चुके हैं हमें आजाद हुए. मगर अब समय है सचमुच की आजादी का. तन मन और सोच की आजादी का. अभी बहुत से काम बाकी है, क्योंकि जंग अभी भी जारी है. आतंकवाद, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार, जाने कितने अन्दुरुनी दुश्मन हैं जो हमारे इस देश की जड़ों को अंदर से खोखला कर रहे हैं. आज समय आ गया है कि हम स्मरण करें उन देशभक्तों की कुर्बानियों का जिनके बदौलत आज हम खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं. आज समय है एक बार फिर उस सोयी हुई देशभक्ति को जगाने का जिसके अभाव में हम ईमानदारी, इंसानियत और इन्साफ के कायदों को भूल ही चुके हैं. आज समय है उस राष्ट्रप्रेम में सरोबोर हो जाने का जो त्याग और कुर्बानी मांगती है, जो एक होकर चलने की रवानी मांगती है. कुछ यही सोच यही विचार हम पिरो कर लाये हैं अपने इस नए स्वतंत्रता दिवस विशेष गीत में, जिसे लिखा है विश्व दीपक तन्हा ने, सुरों से सजाया है सुभोजित ने और गाया है बिस्वजीत ने. जी हाँ इस तिकड़ी का कमाल आप बहुत से पिछले गीतों में भी सुन ही चुके है, जाहिर है इस गीत में भी इन तीनों ने जम कर मेहनत की है. तो आईये सुनते है आज का ये ताज़ा अपलोड और इस

एक नया अंदाज़ फिज़ा में बिखेरा "उड़न छूं" ने, जिसके माध्यम से वापसी कर रहे हैं बिश्वजीत और सुभोजित

Season 3 of new Music, Song # 11 दोस्तों, आवाज़ संगीत महोत्सव २०१० में आज का ताज़ा गीत है एक बेहद शोख, और चुलबुले अंदाज़ का, इसकी धुन कुछ ऐसी है कि हमारा दावा है कि आप एक बार सुन लेंगें तो पूरे दिन गुनगुनाते रहेंगें. इस गीत के साथ इस सत्र में लौट रहे हैं पुराने दिग्गज यानी हमारे नन्हें सुभोजित और गायक बिस्वजीत एक बार फिर, और साथ हैं हमारे चिर परिचित गीतकार विश्व दीपक तन्हा भी. जहाँ पिछले वर्ष परीक्षाओं के चलते सुभोजित संगीत में बहुत अधिक सक्रिय नहीं रह पाए वहीं बिस्वजीत ने करीब एक वर्ष तक गायन से दूर रह कर रियाज़ पर ध्यान देने का विचार बनाया था. मगर देखिये जैसे ही आवाज़ का ये नया सत्र शुरू हुआ और नए गानों की मधुरता ने उन्हें अपने फैसले पर फिर से मनन करने पर मजबूर कर दिया, अब कोई मछली को पानी से कब तक दूर रख सकता है भला. तो लीजिए, एक बार फिर सुनिए बिस्वजीत को, एक ऐसे अंदाज़ में जो अब तक उनकी तरफ़ से कभी सामने नहीं आया, और सुभो ने भी वी डी के चुलबुले शब्दों में पंजाबी बीट्स और वेस्टर्न अंदाज़ का खूब तडका लगाया है इस गीत में गीत के बोल - आते जाते काटे रास्ता क्यूँ, बड़ी जिद्दी है री तू हो

तूने ये क्या कर दिया ...ओ साहिबा...

दूसरे सत्र के १८ वें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज " जीत के गीत " और " मेरे सरकार " गीत गाकर अपनी आवाज़ का जादू बिखेरने वाले बिस्वजीत आज लौटे हैं एक नए गीत के साथ, और लौटे हैं कोलकत्ता के सुभोजित जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही अपनी प्रतिभा से हर किसी को प्रभावित किया है. सजीव सारथी के लिखे इस नए गीत में प्रेम की पहली छुअन है जिसका बिस्वजीत अपने शब्दों में कुछ इस तरह बखान करते हैं - "कुछ गाने ऐसे होते है जिनमें खो जाने को मन करता है. "साहिबा" ऐसा एक गाना है. सच बताऊँ तो गाने के समय एक बार भी मुझे लगा नहीं कि मैं गा रहा हूँ. ऐसे लगा जैसे इस कहानी में मैं ही वो लड़का हूँ जिस पर कोई लड़की जादू कर गई है, कुछ पल की मुलाक़ात के बाद और चंद लम्हों में मेरी साहिबा बन चुकी है. तड़प रहा हूँ मैं दूरी से, जो दिल में बस गई है उसके ना होने से. सजीव जी के शब्दों ने मुझे मजबूर कर दिया उस तड़प की गहराइयों को महसूस करने के लिए. सुभोजित का म्यूजिक भी लाजवाब है. आशा कर रहा हूँ ये गाना भी सभी को पसंद आएगा" आप भी सुनें सुभोजित का स्वरबद्ध और बिस्वजीत का गाया ये नया गीत

इस बार, नज़रों के वार, आर या पार...

दूसरे सत्र के नवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज. इन्टरनेट गठजोड़ का एक और ताज़ा उदाहरण है ये नया गीत, IIT खड़कपुर के छात्र ( आजकल पुणे में कार्यरत ), और हिंद युग्म के बेहद मशहूर कवि विश्व दीपक 'तनहा' ने अपना लिखा गीत भेजा, युग्म के सबसे युवा संगीतकार सुभोजित को, और जब गीत को आवाज़ दी दूर ब्रिस्टल (UK) में बैठे गायक बिस्वजीत ने, तो बना, सत्र का नवां गीत. " आवारा दिल ", सुभोजित के ये दूसरा गीत है, वहीँ " जीत के गीत " गाते, बिस्वजीत अब युग्म के चेहेते गायक बन चुके हैं, तनहा का ये पहला गीत है, इस आयोजन में, जिनका कहना है - "प्रेयसी सब को प्रिय होती है,परंतु जिसकी प्रेयसी हो हीं नहीं,उसके लिए तो प्रेयसी कुछ और हीं हो जाती है। यह गीत मुझ जैसे हीं एक अनजान प्रेमी की कहानी है,जो जानता नहीं कि उसकी प्रेयसी कहाँ है, लेकिन यह जानता है कि अगर उसकी प्रेयसी कहीं है तो वो उसका आग्रह अस्वीकार नहीं कर सकती। "सरकार" अपनी प्रजा का बुरा तो नहीं चाहेगी ना ;),वैसे भी वह दूर कैसे जा सकेगी, जबकि उस प्रेमी का हर कदम अपनी प्रेयसी की हीं ओर है।" तो दोस्तों, इस दु

" मैं निरंतर प्रयत्नशील हूँ, अभी बहुत कुछ सीखना है....", सुभोजित को है अपने संगीत पर विश्वास, आवाज़ पर इस हफ्ते का सितारा.

आवाज़ पर इस हफ्ते के हमारे सितारे हैं, मात्र १६ साल के एक बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार - सुभोजित , जिनका पहला स्वरबद्ध किया गीत " आवारा दिल " बीते शुक्रवार आवाज़ पर ओपन हुआ और अत्याधिक सराहा गया. दमदम कैंट, कोलकत्ता के निवासी सुभोजित, ११ वीं कक्षा के छात्र हैं, और संगीत को ही अपनी जिंदगी, अपना कैरियर बनाना चाहते हैं। ९ साल की उम्र से ही सुभोजित ने पियानो से खेलना शुरू कर दिया था, तीसरी कक्षा में थे जब पहली बार सुरों को पिरोकर एक धुन बनायी, धुन तो बचकानी थी, पर जो धुन उसके बाद दिलो-दिमाग पर सवार हुई, वो कभी नही उतारी। मात्र १३ साल की उम्र थी, जब पहली "full fledge composition" बनायी, और तभी से सुभोजित ने यह जान लिया और मान लिया, कि वो संगीत ही है, जिसके लिए उनका जन्म हुआ है. तब से पढ़ाई के बाद जो भी समय उन्हें मिलता है, समर्पित कर देते हैं वो - अपने संगीत को। मोजार्ट, बीथोवन, यानी, और ऐ.आर.रहमान खूब सुनते हैं ये, और संगीत पर लिखी किताबें पढ़ने का शौक रखते हैं। शास्त्रीय संगीत को अपना आधार मानने वाले सुभोजित, पिछले दो सालों से हिन्दुस्तानी गायन में दीक्षा ले रहे हैं। माता-पि