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हरकीरत हीर के मजमुआ-ए-नज़्म 'दर्द की महक' का विमोचन

कविताप्रेमियो, आप सभी को ईद की बधाइयाँ! आज कविता की दुनिया की रुहानी-क़लम अमृता प्रीतम की जयंती है। अमृता अपनी रचनाओं में एक ख़ास तरह की रुमानियत और कोर-संवेदनशीलता के लिए पहचानी जाती हैं। कुछ इसी तरह की रचनाधर्मिता युवा कवयित्री हरकीरत हीर की कविताओं में दृष्टिगोचर होती है। और कितना सुखद संयोग है कि आज ही हरकीरत का भी जन्मदिन है। हरकीरत खुद के अमृता से इस संयोग को चित्रित करते हुए कहती हैं- "...वह अमृता जिसकी आत्मा का इक-इक अक्षर हीर के ज़िस्म में मुस्कुराता है ...जिसकी इक-इक सतर हीर की तन्हा रातों में संग रही है..." नज़्मों से निर्मित उसी हरकीरत की नज़्मों का एक संग्रह 'दर्द की महक' का प्रकाशन हिन्द-युग्म ने किया है। और अमृता की जयंती, हरकीरत के जन्मदिन और ईद के इस महान संयोग पर 'दर्द की महक' का ऑनलाइन विमोचन कर रहा है। (यहाँ से फीटा काटकर विधिवत लोकार्पण करें) 'दर्द की महक' से अमृता के जन्मदिन को समर्पित एक नज़्म उसने कहा है अगले जन्म में तू फ़िर आएगी मोहब्बत का फूल लिए रात .... बहुत गहरी बीत चुकी है मैं हाथों में कलम लिए मग्मूम सी बैठी हूँ .... जान

राकेश खंडेलवाल की पुस्तक के विमोचन-समारोह के वीडियो-अंश

साथ में समीरलाल, राकेश खंडेलवाल, रजनी भार्गव, अनूप भार्गव, घनश्याम गुप्ता और डॉ॰ सत्यपाल आनंद का काव्य-पाठ शनिवार ११ अक्टूबर २००८ को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि राकेश खंडेलवाल के कविता संग्रह 'अंधेरी रात का सूरज' का एक साथ तीन जगहों से विमोचन हुआ। पहला तो पुस्तक के प्रकाशक पंकज सुबीर के शहर सीहोर में, दूसरा इसी मंच पर आम श्रोताओं द्वारा और तीसरा वाशिंगटन डीसी में। इस ब्लॉग पर आप विमोचन और काव्य पाठ का आनंद तो ले ही चुके हैं। आज हम लाये हैं, अनूप भार्गव की मदद से तैयार वाशिंगटन समारोह के कुछ वीडियो-अंश। डॉ॰ सत्यपाल आनन्द जी राकेश जी के बारे में अपने विचार रखते हुए पुस्तक का विमोचन करते हुए डॉ॰ सत्यपाल आनंद घनश्याम गुप्ता जी काव्य पाठ घनश्याम गुप्ता जी काव्य पाठ - २ समीर लाल काव्य पाठ डॉ. सत्यपाल आनन्द काव्य पाठ रजनी भार्गव का काव्य-पाठ अनूप भार्गव का काव्य-पाठ 'अंधेरी रात का सूरज' (कविता-संग्रह) के विमोचन समारोह में काव्य पाठ करते राकेश खंडेलवाल यदि आपने अभी तक खुद के हाथों इस कविता-संग्रह का विमोचन नहीं किया तो यहाँ क्लिक करके अवश्य करें।

अँधेरी रात का सूरज - राकेश खंडेलवाल के बहुप्रतीक्षित काव्य संग्रह का ऑनलाइन विमोचन

कौन हूँ मैं, ये मैं भी नहीं जानता, आईने का कोई अक्स बतलायेगा असलियत क्या मेरी, मैं नहीं मानता..." अपने ब्लॉग गीत कलश पर ये परिचय लिखने वाले राकेश खंडेलवाल जी ख़ुद को जाने या न जाने पर समस्त ब्लॉग्गिंग जगत उन्हें उनकी उत्कृष्ट कविताओं के माध्यम से जानता भी है और पहचानता भी है. आज उनकी प्रतीक्षित पुस्तक "अँधेरी रात का सूरज" का लोकार्पण है. चूँकि राकेश जी का प्रवास अमेरिका में है तो औपचारिक विमोचन आज राजधानी मंदिर औडीटोरियम में, वर्जीनिया और वाशिंगटन हिन्दी समिति द्वारा शाम ६.३० बजे डा० सत्यपाल आनंद (उर्दू,हिन्दी,पंजाबी और अंग्रेजी के विश्व प्रसिद्ध लेखक व कवि ), कनाडा से समीर लाल, न्यू जर्सी से अनूप एवं रजनी भार्गव, राले (नार्थ केरोलाइना) से डा० सुधा ढींगरा, न्यू जर्सी से ही सुरेन्द्र तिवारी, फिलाडेल्फिया से घनश्याम गुप्ता की उपस्थिति में होना है, जहाँ स्थानीय कवि एवं साहित्यकारों में श्री गुलशन मधुर ( भारत में विविध भारती के उद्घोषक रहे हैं ) मधु माहेश्वरी, डा० विशाखा ठाकर, बीना टोडी, रेखा मैत्र, डा० सुमन वरदान, डा० नरेन्द्र टंडन भी उपस्तिथ रहेंगे ऐसी सम्भावना है. उधर सीह