Skip to main content

Posts

Showing posts with the label naqsh layalpuri

राग आभोगी कान्हड़ा : SWARGOSHTHI – 465 : RAG ABHOGI KANHADA

स्वरगोष्ठी – 465 में आज काफी थाट के राग – 9 : राग आभोगी कान्हड़ा विदुषी अश्विनी भिड़े से आभोगी कान्हड़ा की बन्दिश और आशा भोसले से फिल्म का एक गीत सुनिए आशा भोसले  अश्विनि भिड़े देशपांडे  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “काफी थाट के राग” की नौवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार उस समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित

राग मधुवन्ती : SWARGOSHTHI – 278 : RAG MADHUVANTI

स्वरगोष्ठी – 278 में आज मदन मोहन के गीतों में राग-दर्शन – 11 : पुण्यतिथि पर सुरीला स्मरण “रस्म-ए-उल्फ़त को निभाएँ तो निभाएँ कैसे...” ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर इन दिनों हमारी श्रृंखला – ‘मदन मोहन के गीतों में राग-दर्शन’ जारी है। अब हम श्रृंखला के समापन की ओर अग्रसर हैं। श्रृंखला की ग्यारहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र अपने साथी सुजॉय चटर्जी के साथ आप सभी संगीत-प्रेमियों का एक बार फिर हार्दिक स्वागत करता हूँ। यह श्रृंखला आप तक पहुँचाने के लिए हमने फिल्म संगीत के सुपरिचित इतिहासकार और ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के स्तम्भकार सुजॉय चटर्जी का सहयोग लिया है। हमारी यह श्रृंखला फिल्म जगत के चर्चित संगीतकार मदन मोहन के राग आधारित गीतों पर केन्द्रित है। श्रृंखला के प्रत्येक अंक में हम मदन मोहन के स्वरबद्ध किसी राग आधारित गीत की चर्चा और फिर उस राग की उदाहरण सहित जानकारी दे रहे हैं। आगामी 14 जुलाई को मदन मोहन की पुण्यतिथि पड़ रही है। इस अवसर पर हम उनकी स्मृतियों को नमन करते है और उन्हीं के एक उल्लेखनीय गीत के माध्यम से