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केरवा जे फरेला घवद से : सुनिए छठ के अवसर पर ये लोक गीत

आज छठ पर्व है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक श्रृद्धालु डूबते सूरज को अर्घ्य दे चुके होंगे और कल भोर में दूसरा अर्घ्य उगते सूरज को दिया जाएगा। छठ का नाम बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के सबसे पावन पर्वों में शुमार होता है। विश्व में जहाँ कहीं भी इन प्रदेशों के लोग गए हैं वो अपने साथ इसकी परंपराओं को ले कर गए हैं। छठ जिस धार्मिक उत्साह और श्रृद्धा से मनाया जाता है इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि जब तीन चौथाई पुलिसवालों के छुट्टी पर रहते हुए भी बिहार जैसे राज्य में इस दौरान आपराधिक गतिविधियाँ सबसे कम हो जाती हैं। अब छठ की बात हो और छठ के गीतों का जिक्र ना आए ये कैसे हो सकता है। बचपन से मुझे इन गीतों की लय ने खासा प्रभावित किया था। इन गीतों से जुड़ी एक रोचक बात ये है कि ये एक ही लए में गाए जाते हैं और सालों साल जब भी ये दिन आता है मुझे इस लय में छठ के गीतों को गुनगुनाने में बेहद आनंद आता है। यूँ तो शारदा सिन्हा ने छठ के तमाम गीत गा कर काफी प्रसिद्धि प्राप्त की है पर आज जिस छठ गीत की मैं चर्चा कर रहा हूँ उसे मैंने टीवी पर भोजपुरी लोक गीतों की गायिका देवी की आवाज में सुना था और इतने

पिया मेहंदी लियादा मोती झील से...जाके सायिकील से न...

मिट्टी के गीत में- कजली गीत मिर्जापुर उत्तर प्रदेश में एक लोक कथा चलती है, कजली की कथा. ये कथा विस्थापन के दर्द की है. रोजगार की तलाश में शहर गए पति की याद में जल रही है कजली. सावन आया और विरह की पीडा असहनीय होती चली गयी. काले बादल उमड़ घुमड़ छाए. कजली के नैना भी बरसे. बिजली चमक चमक जाए तो जैसे कलेजे पर छुरी सी चले. जब सखी सहेलियां सवान में झूम झूम पिया संग झूले, कजली दूर परदेश में बसे अपने साजन को याद कर तड़प तड़प रह जाए. आह ने गीत का रूप लिया. काजमल माई के चरणों में सर रख जो गीत उसने बुने, उन्ही पीडा के तारों से बने कजरी के लोकप्रिय लोक गीत. सावन में गाये जाने वाले ये लोकगीत अमूमन औरतों द्वारा झुंड बना कर गाये जाते हैं (धुनमुनिया कजरी). कजरी गीत गावों देहातों में इतने लोकप्रिय हैं की हर बार सावन के दौरान क्षेत्रीय कलाकारों द्वारा गाये इन गीतों की cd बाज़ार में आती है और बेहद सुनी और सराही जाती है. आसाम की वादियों और कश्मीर की घाटियों की सैर के बाद आईये चलते हैं विविधताओं से भरे पूरे प्रदेश, उत्तर प्रदेश की तरफ़. कण कण में संगीत समेटे उत्तर प्रदेश में गाये जाने वाले सावन के गीत कजरी क