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"जब से पी संग नैना लागे" - क्यों लता नहीं गा सकीं ओ.पी.नय्यर के इस पहले पहले कम्पोज़िशन को

लता मंगेशकर और ओ.पी.नय्यर के बीच की दूरी फ़िल्म-संगीत जगत में एक चर्चा का विषय रहा है। आज इसी ग़लतफ़हमी पर एक विस्तारित नज़र ओ.पी.नय्यर की पहली फ़िल्म 'आसमान' के एक गीत के ज़रिए सुजॉय चटर्जी के साथ, 'एक गीत सौ कहानियाँ' की पाँचवी कड़ी में... एक गीत सौ कहानियाँ # 5 स्वर्ण-युग के संगीतकारों में बहुत कम ऐसे संगीतकार हुए हैं जिनकी धुनों पर लता मंगेशकर की आवाज़ न सजी हो। बल्कि यूं भी कह सकते हैं कि हर संगीतकार अपने गानें लता से गवाना चाहते थे। ऐसे में अगर कोई संगीतकार उम्र भर उनसे न गवाने की क़सम खा ले, तो यह मानना ही पड़ेगा कि उस संगीतकार में ज़रूर कोई ख़ास बात होगी, उसमें ज़रूर दम होगा। ओ.पी. नय्यर एक ऐसे ही संगीतकार हुए जिन्होने कभी लता से गाना नहीं लिया। अपनी पहली पहली फ़िल्म के समय ही किसी मनमुटाव के कारण जो दरार लता और नय्यर के बीच पड़ी, वह फिर कभी नहीं भर सकी। लता और नय्यर, दोनों से ही लगभग हर साक्षात्कार में यह सवाल ज़रूर पूछा जाता रहा है कि आख़िर क्या बात हो गई थी कि दोनों नें कभी एक दूसरे की तरफ़ क़दम नहीं बढ़ाया, पर हर बार ये दोनों असल बात को टालते रहे हैं