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पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए.....किशोर दा के साथ खूब रंग जमाया गायिका हेमा मालिनी ने इस गीत में

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 637/2010/337 'सि तारों की सरगम' लघु शृंखला में कल संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी के संगीत निर्देशन में आप नें सुना था अमिताभ बच्चन का गाया फ़िल्म 'लावारिस' का गीत। कल के ही अंक में आप नें जाना कि कल्याणजी-आनंदजी नें कई फ़िल्मी कलाकारों से गीत गवाये हैं। अशोक कुमार और अमिताभ बच्चन के गाये गीतों का ज़िक्र हमनें किया। फ़िल्म 'जब जब फूल खिले' के "एक था गुल और एक थी बुलबुल" में इन्होंने नंदा से संवाद बुलवाये। इसी तरह शंकर जयकिशन नें भी 'संगम' के गीत "बोल राधा बोल" में वैयजंतीमाला, 'मेरा नाम जोकर' के गीत "तीतर के दो आगे तीतर" में सिमी गरेवाल और 'ऐन ईवनिंग् इन पैरिस' के गीत "आसमान से आया फ़रिश्ता" में शर्मीला टैगोर की आवाज़ ली। आइए आज कल्याणजी-आनंदजी के संगीत में आपको सुनवाते हैं ड्रीम-गर्ल की आवाज़। जी हाँ, ड्रीम-गर्ल यानी हेमा मालिनी। हेमा जी नें बेशुमार फ़िल्मों में यादगार अभिनय तो किया ही, लेकिन आज हम उन्हें याद कर रहे हैं एक गायिका के रूप में। हेमा मालिनी के गाये गीतों की अगर ब

एक मैं और एक तू, दोनों मिले इस तरह....ये था प्यार का नटखट अंदाज़ सत्तर के दशक का

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 558/2010/258 'ए क मैं और एक तू' - 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की इस लघु शृंखला की आठवीं कड़ी में आज एक और ७० के दशक का गीत पेश-ए-ख़िदमत है। दोस्तों, फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर की गायक-गायिका जोड़ियों में जिन चार जोड़ियों का नाम लोकप्रियता के पयमाने पर सब से उपर आते हैं, वो हैं लता-किशोर, लता-रफ़ी, आशा-किशोर और आशा-रफ़ी। ७० के दशक में इन चार जोड़ियों ने एक से एक हिट डुएट हमें दिए हैं। कल के लता-रफ़ी के गाये गीत के बाद आज आइए आशा-किशोर की जोड़ी के नाम किया जाये यह अंक। और ऐसे में फ़िल्म 'खेल खेल में' के उस गीत से बेहतर गीत और कौन सा हो सकता है, जिसके मुखड़े के बोलों से ही इस शृंखला का नाम है! "एक मैं और एक तू, दोनों मिले इस तरह, और जो तन मन में हो रहा है, ये तो होना ही था"। नये अंदाज़ में बने इस गीत ने इस क़दर लोकप्रियता हासिल की कि जवाँ दिलों की धड़कन बन गया था यह गीत और आज भी बना हुआ है। उस समय ऋषी कपूर और नीतू सिंह की कामयाब जोड़ी बनी थी और एक के बाद एक कई फ़िल्में इस जोड़ी के बने। 'खेल खेल में' १९७५ में बनी थी जिसका निर्देशन किया

रविवार सुबह की कॉफी और यादें गीतकार गुलशन बावरा की (१५)

सच कहा गया है कि कल्पना की उडान को कोई नहीं रोक सकता. कल्पनाएँ इंसान को सारे जहान की सैर करा देती हैं. ये इंसान की कल्पना ही तो है की वो धरती को माँ कहता है, तो कभी चाँद को नारी सोंदर्य का प्रतीक बना देता है. आसमान को खेल का मैदान, तो तारों को खिलाड़ियों की संज्ञा दे देता है. तभी तो कहते है कल्पना और साहित्य का गहरा सम्बन्ध है. जिस व्यक्ति की सोच साहित्यिक हो वो कहीं भी कोई भी काम करे, पर उसकी रचनात्मकता उसे बार-बार साहित्य के क्षेत्र की और मोड़ने की कोशिश करती है. गुलशन बावरा एक ऐसा ही व्यक्तित्व है जो अपनी साहित्यिक सोच के कारण ही फिल्म संगीत से जुड़े. हालांकि पहले वो रेलवे में कार्यरत थे, लेकिन उनकी कल्पना कि उड़ान ने उन्हें फिल्म उद्योग के आसमान पर स्थापित कर दिया, जहाँ उनका योगदान ध्रुव तारे की तरह अटल और अविस्मर्णीय है. १२ अप्रैल १९३८ पकिस्तान(अविभाजित भारत के शेखुपुरा) में जन्मे गुलशन बावरा जी का असली नाम गुलशन मेहता है. उनको बावरा उपनाम फिल्म वितरक शांति भाई पटेल ने दिया था. उसके बाद सभी उन्हें इसी नाम से पुकारने लगे. हिंदी फिल्म उद्योग के ४९ वर्ष के सेवाकाल में बावरा जी ने २५०

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती...गुलशन बावरा ने लिखा इस असाधारण गीत से इतिहास

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 174 औ र आज है तिरंगे के तीसरे रंग, यानी कि हरे रंग की बारी। हरा रंग है संपन्नता का, ख़ुशहाली का। "ख़ुशहाली का राज है, सर पे तिरंगा ताज है, ये आज का भारत है ओ साथी आज का भारत है"। जी हाँ दोस्तों, इस बात में कोई शक़ नहीं कि देश प्रगति के पथ पर क्रमश: अग्रसर होता जा रहा है। हरित क्रांति से देश में खाद्यान्न की समस्या बड़े हद तक समाप्त हुई है। लेकिन अब भी देश की आबादी का एक ऐसा हिस्सा भी है जिसे दो वक़्त की रोटी नसीब नहीं। इस तिरंगे का हरा रंग उस दिन सार्थक होगा जिस दिन देश में कोई भी आदमी भूखा न होगा। आज तिरंगे के हरे रंग को सलामी देते हुए हमने जिस गीत को चुना है उस गीत से बेहतर शायद ही कोई और गीत होगा इस मौके के लिए। फ़िल्म 'उपकार' का सदाबहार देश भक्ति गीत "मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती" आप ने हज़ारों बार सुना होगा, आज भी सुनिए, रोज़ सुनिए, क्योंकि इस तरह के गीत रोज़ रोज़ नहीं बनते। यह एक ऐसा देश भक्ति गीत है जिसने एक इतिहास रचा है। शायद ही कोई स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस का पर्व होगा जो इस गाने के बग़ैर मनाया गया होगा