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बोलती कहानियाँ: घीसा (महादेवी वर्मा) - अर्चना चावजी

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अमर साहित्यकार बाबा नागार्जुन की मार्मिक कहानी " असमर्थ दाता का पॉडकास्ट प्राख्यात ब्लॉगर अर्चना चावजी की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं छायावाद की अमर कवयित्री महादेवी वर्मा द्वारा लिखी हृदयस्पर्शी कहानी " घीसा , जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने।  कहानी का कुल प्रसारण समय 10 मिनट 17 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। अश्रु यह पानी नहीं है, यह व्यथा चंदन नहीं है! ~  महादेवी वर्मा (26 मार्च 1906 – 11 सितम्बर, 198) हर शुक्रवार को यहीं पर सुनें एक नयी कहानी जला हुआ काला वर्ण, टेढ़े मेढ़े पैर, दरकी हुई त्वचा, शुष्क बेतरतीब रस्सीनुमा केश। चीकट मैले कुरते की एक बांह पूरी, एक बांह आधी। मानो खेत म

हौले हौले रस घोले....महान महदेवी वर्मा के शब्द और जयदेव का मधुर संगीत

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 528/2010/228 हिं दी साहित्य छायावादी विचारधारा के लिए जाना जाता है। छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में एक स्तंभ का नाम है महादेवी वर्मा। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों, नमस्कार, और स्वागत है हिंदी साहित्यकारों की फ़िल्मी रचनाओं पर आधारित लघु शृंखला 'दिल की कलम से' की आठवीं कड़ी में। महादेवी वर्मा ना केवल हिंदी की एक असाधारण कवयित्री थीं, बल्कि वो एक स्वाधीनता संग्रामी, नारीमुक्ति कार्यकर्ता और एक उत्कृष्ट शिक्षाविद भी थीं। महादेवी वर्मा का जन्म २६ मार्च १९०७ को फ़र्रुख़ाबाद में हुआ था। उनकी शिक्षा मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुआ था। उनके पिता गिविंदप्रसाद और माता हेमरानी की वो वरिष्ठ संतान थीं। उनके दो भाई और एक बहन थीं श्यामा। महादेवी जी का विवाह उनके ९ वर्ष की आयु में इंदौर के डॊ. स्वरूप नारायण वर्मा से हुआ, लेकिन नाबालिक होने की वजह से वो अपने माता पिता के साथ ही रहने लगीं और पढ़ाई लिखाई में मन लगाया। उनके पति लखनऊ में अपनी पढ़ाई पूरी। महादेवी जी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की और १९२९ में बी.ए की डिग्री लेकर १९३३ में सम्स्कृ

'काव्यनाद' और 'सुनो कहानी' की बम्पर सफलता

हिन्द-युग्म ने 19वें विश्व पुस्तक मेले (जो 30 जनवरी से 7 फरवरी 2010 के दरम्यान प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित हुआ) में बहुत-सी गतिविधियों के अलावा दो नायाब उत्पादों का भी प्रदर्शन और विक्रय किया। वे थे प्रेमचंद की 15 कहानियों का ऑडियो एल्बम ‘सुनो कहानी’ और जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, रामधारी सिंह दिनकर, मैथिलीशरण गुप्त की प्रतिनिधि कविताओं के संगीतबद्ध स्वरूप का एल्बम ‘काव्यनाद’ । ये दोनों एल्बम विश्व पुस्तक मेला में सर्वाधिक बिकने वाले उत्पादों में से थे। दोनों एल्बमों की 500 से भी अधिक प्रतियों को साहित्य प्रेमियों ने खरीदा। इस एल्बम के ज़ारी किये जाने से पहले हिन्द-युग्म के संचालकों को भी इसकी इस लोकप्रियता और सफलता का अंदाज़ा नहीं था। 1 फरवरी 2010 को प्रगति मैदान के सभागार में इन दोनों एल्बमों के विमोचन का भव्य समारोह भी आयोजित किया गया जिसमें वरिष्ठ कवि अशोक बाजपेयी , प्रसिद्ध कथाकार विभूति नारायण राय और संगीत-विशेषज्ञ डॉ॰ मुकेश गर्ग ने भाग लिया। ‘काव्यनाद’ और ‘सुनो कहानी’ कहानी की इस सफलता के बाद ऑल इंडिया रेडिय

महादेवी वर्मा की कविता 'जो तुम आ जाते एक बार' का संगीतबद्ध रूप

गीतकास्ट प्रतियोगिता- परिणाम-4: जो तुम आ जाते एक बार हर वर्ष 14 सितम्बर का दिन हिन्दी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। हिन्दी सेवी संस्थाएँ तरह-तरह के सांस्कृतिक और साहित्यिक आयोजन करती हैं। सरकारी उपक्रम तो हिन्दी सप्ताह, हिन्दी पखवाड़ा व हिन्दी मास अभियान चलाने जैसी बातें करते हैं। लेकिन हम ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं। बल्कि इससे एक दिन पहले महीयसी महादेवी वर्मा की कविता 'जो तुम आ जाते एक बार' का संगीतबद्ध संस्करण जारी कर रहे हैं। हिन्द-युग्म डॉट कॉम अपने आवाज़ मंच पर गीतकास्ट प्रतियोगिता के माध्यम से हिन्दी के स्तम्भ कवियों की एक-एक कविताओं को संगीतबद्ध/स्वरबद्ध करने की प्रतियोगिता आयोजित करता है। इसमें हमने शुरूआती शृंखला के तौर पर छायवादी युगीन कवियों की कविताओं को स्वरबद्ध करने की प्रतियोगिता रखी। जिसके अंतर्गत अब तक जयशंकर प्रसाद की कविता ' अरुण यह मधुमय देश हमारा' , सुमित्रानंदन पंत की कविता 'प्रथम रश्मि' और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता 'स्नेह निर्झर बह गया है' को संगीतबद्ध किया जा चुका है। आज हम छायावादी युग की अंतिम कड़ी यानी महादेवी वर

महादेवी वर्मा की विरह-कविता गायें और स्वरबद्ध करें

हिन्द-युग्म ने मई 2009 से गीतकास्ट प्रतियोगिता के माध्यम से महाकवियों की कविताओं को संगीतबद्ध करने की परम्परा शुरू की है। इस क्रम में सबसे पहले हमने हिन्दी कविता के स्वर्णिम काल छायावादी युग के चार स्तम्भ कवियों की एक-एक कविता को संगीतबद्ध करवाने का संकल्प लिया है। उल्लेखनीय है कि हमने चार में से तीन कवियों ( जयशंकर प्रसाद , सुमित्रा नंदन पंत , सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ) की एक-एक कविता को संगीतबद्ध करने की प्रतियोगिता का सफल आयोजन कर भी लिया है। आज हम महीयसी महादेवी वर्मा की कविता के लिए संगीतबद्ध प्रविष्टियाँ भेजने की उद्‍घोषणा लेकर उपस्थित हैं। महादेवी वर्मा को विरह की कवयित्री भी कहा जाता है। हमने इनकी एक विरह और मिलन की कल्पना से उपजने वाले भावों से पिरोई कविता 'जो तुम आ जाते एक बार' को संगीतबद्ध करवाने का निर्णय लिया है। इस कड़ी के प्रायोजक है डैलास, अमेरिका के अशोक कुमार हैं जो पिछले 30 सालों से अमेरिका में हैं, आई आई टी, दिल्ली के प्रोडक्ट हैं। डैलास, अमेरिका में भौतिकी के प्रोफेसर हैं, अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति के आजीवन सदस्य हैं। और हिन्दी-सेवा के लिए डैलास में

पॉडकास्ट कवि सम्मलेन मार्च २००९

डॉक्टर मृदुल कीर्ति मैं नीर भरी दुःख की बदली कविता प्रेमी श्रोताओं के लिए प्रत्येक मास के अन्तिम रविवार का अर्थ है पॉडकास्ट कवि सम्मेलन । आवाज़ के तत्त्वावधान में इस बार हम लेकर आए हैं नवम् ऑनलाइन कवि सम्मेलन का पॉडकास्ट। मेरा पग पग संगीत भरा, श्वासों में स्वप्न पराग झरा, नभ के नव रंग बुनते दुकूल, छाया में मलय बयार पली (महादेवी वर्मा की कविता "नीर भरी दुख की बदली" से) कवि सम्मलेन के सभी श्रोताओं को हिंद युग्म की टीम की ओर से नव संवत्सर २०६६ की शुभ कामनाएं। देश भर में यह समय प्राचीन काल से ही उत्सवों का समय रहा है। राष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में नाम चाहे भिन्न हों परन्तु गुडी पडवो, युगादि, चैत्रादि, चेती-चाँद, नव-रात्रि, राम नवमी, बोहाग बिहू के साथ ही उल्लास और आनंद की एक नयी लहर हर ओर दिखाई पड़ रही है। इस शुभ अवसर पर हम आपके समक्ष एक नया कवि सम्मेलन लेकर उपस्थित हैं। इस बार के कवि सम्मलेन के माध्यम से हम महान कवयित्री महादेवी वर्मा को नमन कर रहे हैं जिनका जन्मदिन २५ मार्च को है। छायावाद की इस महान कवयित्री को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए इस अंक में हमारे साथ उपस्थित ह