Skip to main content

Posts

Showing posts with the label Fariyal

दिल लगाकर हम ये समझे ज़िंदगी क्या चीज़ है- शक़ील बदायूँनी की दार्शनिक शायरी

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 129 "हो श वालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है, इश्क़ कीजिये फिर समझिये ज़िंदगी क्या चीज़ है"। जगजीत सिंह की आवाज़ में फ़िल्म 'सरफ़रोश' की यह मशहूर ग़ज़ल तो आप ने बहुत बार सुनी होगी, जिसे लिखा था शायर और गीतकार निदा फ़ाज़ली साहब ने। 1999 में यह फ़िल्म आयी थी, लेकिन इससे लगभग 34 साल पहले गीतकार शक़ील बदायूँनी ने फ़िल्म 'ज़िंदगी और मौत' में एक गीत लिखा था "दिल लगाकर हम ये समझे ज़िंदगी क्या चीज़ है, इश्क़ कहते हैं किसे और आशिक़ी क्या चीज़ है" । आख़िरी अंतरे की अंतिम लाइन है "होश खो बैठे तो जाना बेख़ुदी क्या चीज़ है", जो एक बार फिर से हमारा ध्यान "होश वालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है" की तरफ़ ले जाती है। इसमें कोई शक़ नहीं कि इन दोनों गीतों में अद्‍भुत समानता है, बोलों के लिहाज़ से भी और कुछ हद तक संगीत के लिहाज़ से भी। जिस तरह से कई गीतों का संगीत एक दूसरे से बहुत अधिक मिलता जुलता है, ठीक वैसी ही बहुत सारे गाने ऐसे भी हैं जो लेखनी की दृष्टि से आपस में मिलते जुलते हैं। 1965 की 'ज़िंदगी और मौत&