tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post4756696646428427001..comments2024-03-28T11:13:07.608+05:30Comments on रेडियो प्लेबैक इंडिया: "सैगल ब्लूज़" - सहगल साहब की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजली एक नए अंदाज़ मेंSajeevhttp://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-81094102032347090342012-01-18T11:19:15.277+05:302012-01-18T11:19:15.277+05:30प्रयोग के तौर पर तो ठीक है, किन्तु इसे चलन बनाए जा...प्रयोग के तौर पर तो ठीक है, किन्तु इसे चलन बनाए जाने का कोई औचित्य नहीं। किसी गीत में साज और आवाज़ परस्पर घुल-मिल जाते हैं तो गीत की कर्णप्रियता बढ़ती है। मुझे वाद्य संगीत, स्वर पर थोपा हुआ, प्रतीत हुआ।कृष्णमोहनhttps://www.blogger.com/profile/18359511255337041801noreply@blogger.com