tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post2665286356144988477..comments2024-03-28T11:13:07.608+05:30Comments on रेडियो प्लेबैक इंडिया: ई मेल के बहाने यादों के खजाने - जब बचपन जवानी और बुढापा सिमट गया था एक गीत में...हमारी श्रोता अनीता जी के लिएSajeevhttp://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-20202056938707339022010-10-23T19:36:21.563+05:302010-10-23T19:36:21.563+05:30लो फिर कहोगे ये औरत क्या रात दिन रोती ही रहती है? ...लो फिर कहोगे ये औरत क्या रात दिन रोती ही रहती है? नही ऐसा भी नही है.पर...इतनी भावुक हूँ कि ऐसा कोई गाना सुना नही कि आँखे बरबस बरस जाती है,नही फूट फूट कर रो उठती हूँ मैं पागल.<br>उसमे से एक गाना ये है खास जब सुनती हूँ <br>'युग से खुले है पट नैनन के मेरे <br> युग से अन्धेरा मोरे आंगना....''<br>और मेरा रोना बंद नही होता....<br>अनु!बेमिसाल पसंद है तुम्हारी.इंदु पुरी गोस्वामीhttp://www.blogger.com/profile/03517929821866304468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-72139412951317716842010-10-23T20:34:04.246+05:302010-10-23T20:34:04.246+05:30' बिन गवनवां ..........कथा संयोजन के कथ्य के स...' बिन गवनवां ..........<br><br>कथा संयोजन के कथ्य के साथ नायिका के तीन काल खण्डों की विविधता का भाव , गीत ,सुर की शास्वत शाश्त्रीय परंपरा , स्वर का लालित्य और संगीत में इतने रंगों ,रागों का फैलाव इस गीत को अद्भुत बना देता है स्वयं में ही .<br>लेकिन पूर्णतःएहसास करना हो तो ' ममता ' न देखी हो तो जरूर देखिये .RAJ SINHhttp://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.com