tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post1303573092813208342..comments2024-03-28T11:13:07.608+05:30Comments on रेडियो प्लेबैक इंडिया: ई मेल के बहाने यादों के खजाने (४), जब शरद तैलंग मिले रीटा गांगुली सेSajeevhttp://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-41773867068948522862010-08-21T22:28:05.522+05:302010-08-21T22:28:05.522+05:30सुजॉय-सजीव जी!अभी आप सामने होते तो जानते हैं मैं क...सुजॉय-सजीव जी!<br>अभी आप सामने होते तो जानते हैं मैं क्या करती?? पकड़ कर गले से लगा लेती आप दोनों को.<br>कितना समर्पन है संगीत के लिए आप दोनों में!<br>रोज 'भगवान' से मिलते हो?<br>मैंने तो महसूस किया है जो आत्मविस्मृत की स्थिति तक पहुंचा दे वो अलौकिक हुआ न ?<br>खूब महसूस किया होगा तब तो आप दोनों ने.<br>शरद भाई को आपके ब्लोग पर सुना जरूर था,पर इतना नहीकि दिमाग में बस जाता.आज फिर याद दिलाया indu purihttp://www.blogger.com/profile/03517929821866304468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2609134172707418520.post-91139637179279004722010-08-22T17:53:06.302+05:302010-08-22T17:53:06.302+05:30मैं ‘आवाज़‘ का नियमित श्रोता और पाठक हूं। फिल्मी औ...मैं ‘आवाज़‘ का नियमित श्रोता और पाठक हूं। फिल्मी और सुगम संगीत के संबंध में इतनी सुंदर जानकारी पढ़-सुन कर दिल को अजीब सा सुकून मिलता है। इस शृंखला में पुराने ग़ैर फ़िल्मी गीतों को भी शामिल कीजिए न। संगीत और साहित्य की इस नई विधा के सृजन के लिए आप और आपकी टीम बधाई के पात्र हैं।mahendra vermahttp://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.com