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Showing posts from 2015

काजल कुमार की लघुकथा शिकार

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने उषा छाबड़ा के स्वर में उन्हीं की लघुकथा " प्रश्न " का वाचन सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं काजल कुमार लिखित लघुकथा शिकार , जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। इस कहानी शिकार  का कुल प्रसारण समय 1 मिनट 57 सेकंड है। इसका गद्य कथा-कहानी ब्लॉग पर उपलब्ध है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। कवि, कथाकार और कार्टूनिस्ट काजल कुमार के बनाए चरित्र तो आपने देखे ही हैं। उनकी व्यंग्यात्मक लघुकथायेँ " समय" , " एक था गधा ", " ड्राइवर ", " लोकतनतर ", और कुत्ता आप पहले सुन चुके हैं। काजल कुमार दिल्ली में रहते ह

नौशाद के गीतों में राग-दर्शन : SWARGOSHTHI – 250 : RAG BASED SONGS BY NAUSHAD

स्वरगोष्ठी – 250 में आज संगीत के शिखर पर – 11 : फिल्म संगीतकार नौशाद अली फिल्मों में रागदारी संगीत की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम साधक नौशाद अली ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी सुरीली श्रृंखला – ‘संगीत के शिखर पर’ की ग्यारहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-रसिकों का एक बार पुनः हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय संगीत की विभिन्न विधाओं में शिखर पर विराजमान व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। संगीत गायन और वादन की विविध लोकप्रिय शैलियों में किसी एक शीर्षस्थ कलासाधक का चुनाव कर हम उनके व्यक्तित्व का उल्लेख और उनकी कृतियों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। आज श्रृंखला की ग्यारहवीं कड़ी में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। आपको हम यह भी अवगत कराना चाहते हैं कि दो दिन पूर्व, अर्थात 25 दिसम्बर को नौशाद अली का 96वीं जयन्ती थी। इस उपलक्ष्य में हम ‘स्वरगोष्ठी’ क

2015 के कमचर्चित सुरीले गीतों की हिट परेड - The Unsung Melodies of 2015

चित्रशाला - नववर्ष विशेष  2015 के कमचर्चित सुरीले गीतों की हिट परेड The Unsung Melodies of 2015 रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! प्रस्तुत है फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत के विभिन्न पहलुओं से जुड़े विषयों पर आधारित शोधालेखों का स्तंभ ’चित्रशाला’। वर्ष 2015 हमसे विदा लेना चाहता है। और इसी वर्ष के समाप्त होने से इस दशक का पूर्वार्ध भी समाप्त हो जाएगा। इस दशक में फ़िल्म संगीत का जो स्वरूप अब अक हम सबसे देखा, उससे यही कहा जा सकता है कि वही गाने हिट हो रहे हैं, या उन्हीं गानों को बढ़ावा मिल रहा है जिनमें कोई पंच लाइन, या आइटम वाली बात, और इस तरह का कोई मसाला हो। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कुछ ऐसे गुमनाम गीत आए जिनकी तरफ़ किसी का भी ध्यान नहीं गया, पर स्तर की दृष्टि से ये गीत बहुत से लोकप्रिय और हिट गीतों के मुकाबले कहीं अधिक उत्कृष्ट हैं। ऐसे ही दस गीत को चुन कर आज के ’चित्रशाला’ का यह नववर्ष विशेषांक प्रस्तुत कर रहे हैं। तो पेश है वर्ष 2015 का कमचर्चित हिट परेड, The Top-10 Unsung Melodies of 2015. 10:  " साईं बाबा के दरबार

उषा छाबड़ा की लघुकथा प्रश्न

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा के स्वर में हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार असगर वजाहत की लघुकथा " जब वह बुलाएगा " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं, उषा छाबड़ा की लघुकथा प्रश्न , उन्हीं के स्वर में। उषा जी साहित्यिक अभिरुचि वाली अध्यापिका हैं। वे पिछले उन्नीस वर्षों से दिल्ली पब्लिक स्कूल ,रोहिणी में अध्यापन कार्य में संलग्न हैं। उन्होंने कक्षा नर्सरी से कक्षा आठवीं तक के स्तर के बच्चों के लिए पाठ्य पुस्तकें एवं व्याकरण की पुस्तक श्रृंखला भी लिखी हैं। वे बच्चों एवं शिक्षकों के लिए वर्कशॉप लेती रहती हैं। बच्चों को कहानियाँ सुनाना उन्हें बेहद पसंद है। उनकी कविताओं की पुस्तक "ताक धिना धिन" और उस पर आधारित ऑडियो सीडी प्रकाशित हो चुकी हैं। आप उनकी आवाज़ में पंडित सुदर्शन की कालजयी कहानी " हार की जीत " तथा दो बच्चियों के वार्तालाप पर आधारित उनकी अपनी कहानी " बचपन का भोलापन

सारंगी के पर्याय पण्डित रामनारायण : SWARGOSHTHI – 249 : SARANGI AND PANDIT RAMNARAYAN

स्वरगोष्ठी – 249 में आज संगीत के शिखर पर – 10 : पण्डित रामनारायण संगीत के सौ रंग बिखेरती पण्डित रामनारायण की सारंगी ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी सुरीली श्रृंखला – ‘संगीत के शिखर पर’ की दसवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-रसिकों का एक बार पुनः हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय संगीत की विभिन्न विधाओं में शिखर पर विराजमान व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। संगीत गायन और वादन की विविध लोकप्रिय शैलियों में किसी एक शीर्षस्थ कलासाधक का चुनाव कर हम उनके व्यक्तित्व का उल्लेख और उनकी कृतियों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। आज श्रृंखला की दसवीं कड़ी में हम आपको मानव-कण्ठ के सर्वाधिक निकट तंत्रवाद्य सारंगी और इस वाद्य कुशल वादक पण्डित रामनारायण के बारे में चर्चा कर रहे हैं। आपको हम यह भी अवगत कराना चाहते हैं कि 25 दिसम्बर को पण्डित रामनारायण जी का 89वाँ जन्मदिन है। इस अवसर पर हम ‘स्वरगोष्ठी’ के इस अंक में पण्डित जी का सारंगी पर बजाया राग मारवा का आलाप और राग दरबारी

"आज फिर जीने की तमन्ना है..." - क्यों शुरू-शुरू में पसन्द नहीं आया था देव आनन्द को यह गीत

एक गीत सौ कहानियाँ - 72   'आज फिर जीने की तमन्ना है...'     रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, हम रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'।  इसकी 72-वीं कड़ी में आज जानिए 1964 की फ़िल्म ’गाइड’ के गीत "आज फिर जीने की तमन्ना है..." के बारे में जिसे लता मंगेशकर न

रघुनाथ सेठ की प्रयोगधर्मी बाँसुरी : SWARGOSHTHI – 248 : EXPERIMENTAL FLUTE BY RAGHUNATH SETH

स्वरगोष्ठी – 248 में आज संगीत के शिखर पर – 9 : पण्डित रघुनाथ सेठ पण्डित रघुनाथ सेठ के जन्मदिन पर एक स्वरांजलि रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी सुरीली श्रृंखला – ‘संगीत के शिखर पर’ की नौवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-रसिकों का एक बार पुनः हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय संगीत की विभिन्न विधाओं में शिखर पर विराजमान व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। संगीत गायन और वादन की विविध लोकप्रिय शैलियों में किसी एक शीर्षस्थ कलासाधक का चुनाव कर हम उनके व्यक्तित्व का उल्लेख और उनकी कृतियों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। आज श्रृंखला की नौवीं कड़ी में हम आपके साथ भारतीय संगीत वाद्य, बाँसुरी और इस वाद्य के एक अनन्य स्वर-साधक, पण्डित रघुनाथ सेठ की सृजनात्मक साधना पर चर्चा करेंगे। आपको हम यह भी अवगत कराना चाहते हैं कि 15 दिसम्बर को श्री सेठ का 85वाँ जन्म-दिवस है। इस उपलक्ष्य में हम ‘स्वरगोष्ठी’ के पाठकों-श्रोताओं की ओर से उन्हें स्वरांजलि अर्पित कर रहे हैं। आज के अंक म