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बुलट राजा आये हैं तमंचे पे डिस्को कराने

त्योहारों का मौसम गर्म है, यही वो समय होता है जब सभी नाम चीन सितारे जनता के दरबार में उतरते हैं अपने अपने मनोरंजन का पिटारा लेकर.  इस बार दिवाली पर हृतिक क्रिश का चोगा पहनेगें तो क्रिसमस पर अमीर धूम मचाने की तैयारी कर रहे हैं. शाहरुख, सलमान, अक्षय और अजय देवगन कुछ छुट्टी के मूड में थे तो उनकी कमी को भरने मैदान में उतरेगें शाहिद (आर...राजकुमार), इमरान (गोरी तेरे प्यार में) जैसे नए तीरंदाज़ तो सैफ (बुलट राजा) और सन्नी देओल (सिंह साहेब द ग्रेट) जैसे पक्के खिलाड़ी भी अपना जौहर लेकर दर्शकों के मनोरजन का पूरा इंतजाम रखेंगें. इन सभी फिल्मों के संगीत की हम बारी बारी चर्चा करेगें, तो चलिए आज जिक्र छेड़ते हैं सैफ अली खान और सोनाक्षी सिन्हा की बुलट राजा के सगीत की.

तिन्ग्मान्शु धुलिया पान सिंह तोमर और साहेब बीवी और गैंगस्टर जैसी लीक से हटकर फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, पर जहाँ तक बुलट राजा का सवाल है, ऐसा लग रहा है कि ये बॉलीवुड व्यावसायिक फिल्मों की तरफ मसालों से भरी पूरी होने वाली है. संदीप नाथ, कौसर मुनीर, शब्बीर एहमद और रफ़्तार के हैं शब्द और प्रमुख संगीतकार हैं साजिद वाजिद, एक गीत देकर अतिथि संगीतकार की भूमिका निभा रहे हैं मशहूर पॉप बैंड RDB. 

बुलट राजा की संगीत एल्बम RDB के दनदनाते तमंचे पे डिस्को से खुलता है. गीत में निंदी कौर भी हैं RDB के साथ. गीत में पर्याप्त मस्ती है और रिदम भी कदम थिरकाने वाला है. शब्द बेतरतीब हैं जिनका जिक्र जरूरी नहीं है, गीत का उद्देश्य कदम थिरकाना और मौज मस्ती लुटाना है जिसमें गीत कामियाब है. 

श्रेया घोषाल की मधुर आवाज़ है गीत सामने है सवेरा में. गीत बेहद मधुर है, और साजिद वाजिद की चिरपरिचित छाप लिए हुए है. पुरुष स्वर है वाजिद की इस युगल गीत में. गीत में बोन्नी चक्रवर्ति का गाया एक छोटा सा बांग्ला पीस भी है जिसके साथ श्रेया के स्वर बेहद खूबसूरती से घुलमिल गए हैं. कह सकते है कि ये एल्बम का सबसे यादगार गीत होने वाला है. 

बहुत दिनों बाद सुनाई दिए नीरज श्रीधर, जो इन दिनों प्रीतम कैम्प से कुछ गायब से हैं. गीत है हरे गोविंदा हरे गोपाला. नीरज का ठप्पा है पूरे गीत में. यूँ भी वो सैफ के लिए बहुत से हिट गीतों में पार्श्व गायन कर चुके हैं. शब्द चुटीले हैं और धुन भी बेहद कैची है. गीत का फिल्मांकन इसे लोकप्रिय बनाने में मदद करेगा.  

ममता शर्मा के लेकर एक और मुन्नी सरीखा आईटम रचने की कोशिश की है साजिद वाजिद ने डोंट टच माई बॉडी में. ममता ने जरूरी उन्ह आह भरा है गीत में (कन्फुज शब्द का उच्चारण बेहद चुटीला लगता है). पर शब्दों की तुकबंदी बेअसर है, धुन और संयोजन में भी कोई नयापन नहीं मिलता. ममता जैसी गायिका से कुछ और भी तरह के गीत गवा लीजिए साजिद वाजिद भाई, और मुन्नी के हैंगओवर से बहार आ जाईये. 

कीर्ति सगाथिया ने सुखविंदर के अंदाज़ में गाया है बुलट राजा का शीर्षक गीत. गीत की रिदम और ताल बेशक जबरदस्त है. पर गीत साजिद वाजिद के दबंग और दबंग २ के शीर्षक गीतों से कुछ अलग और बेहतर पेश नहीं करता. हुर्र...चुर्र मुर्र...सब मसाले ज्यों के त्यों मौजूद हैं यहाँ भी. 

सटाके ठोको फिर एक ऐसा गीत है जहाँ बस एक पंच शब्द युग्म पर गीत परोसा गया है. कीर्ति सगाथिया ने अच्छा निभाया है गीत का. शब्दों में भी यहाँ कुछ विविधता है, और वाजिद वाजिद ने संयोजन भी सिचुएशन के हिसाब से बढ़िया किया है. गीत परदे पर बेहद बढ़िया लगेगा, हाँ फिल्म के जाने के बाद इसे याद रखा जायेगा या नहीं, कहना मुश्किल है.

एल्बम के बहतरीन गीत - सामने है सवेरा, तमंचे पे डिस्को, हरे गोविदा हरे गोपाला...
हमारी रेटिंग - ३.४/५ 

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