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फ़्लैशबैक २००९- नए संगीत कर्मियों का जोर- हिंदी फ़िल्मी/गैरफिल्मी गीत-संगीत पर एक वार्षिक अवलोकन सुजॉय चटटर्जी द्वारा

आप सभी को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार और Merry Christmas! अब बस इस साल में कुछ ही दिन रह गए हैं, और सिर्फ़ इस साल के ही नहीं बल्कि इस पूरे दशक के चंद रोज़ बाक़ी हैं। साल २००९ अगर हमें अलविदा कहने की ज़ोर शोर से तैयारी कर रहा है तो साल २०१० दरवाज़े पर दस्तक भी दे रहा है। हर साल की तरह २००९ भी हिंदी फ़िल्म जगत के लिए मिला जुला साल रहा, बहुत सारी फ़िल्में बनीं, जिनमें से कुछ चले और बहुत सारों के सितारे गरदिश पर ही रहे। जहाँ तक इन फ़िल्मों के संगीत का सवाल है, इस साल कई लोकप्रिय गानें आए जिनमें से कुछ फ़ूट टैपरिंग् नंबर्स थे तो कुछ सूफ़ी रंग में रंगे हुए, कुछ सॊफ़्ट रोमांटिक गानें दिल को छू गए, और बहुत सारे गानें तो कब आए और कब गए पता भी नहीं चला। आइए प्रस्तुत है साल २००९ के फ़िल्म संगीत पर एक लेखा जोखा, हमारी यह विशेष प्रस्तुति 'फ़ैल्शबैक २००९' के अन्तर्गत।

हम इस आलेख को शुरु करना चाहेंगे कुछ ऐसे कलाकारों को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए जो इस साल हमें छोड़ अपनी अनंत यात्रा पर निकल पड़े हैं। आप हैं फ़िल्मकार शक्ति सामंत, फ़िल्मकार प्रकाश मेहरा, गीतकार गुलशन बावरा, और अभी हाल ही मे हमसे बिछड़ी अभिनेत्री बीना राय। 'हिंद युग्म' की तरफ़ से आप सभी को हमारी विनम्र श्रद्धांजली। आज हम दो और कलाकारों को श्रद्धा सुमन अर्पित करना चाहेंगे, एक हैं मोहम्मद रफ़ी साहब जिनका कल, २४ दिसंबर को जन्मदिन था और दूसरे, संगीतकार नौशाद साहब, जिनका आज जन्मदिन है। आइए अब आगे बढ़ा जाए २००९ की फ़िल्म संगीत की समीक्षा पर। शुरुआत हम करना चाहेंगे फ़िल्म जगत की सुरीली महारानी लता मंगेशकर को सेल्युट करते हुए। दोस्तों, यह हैरत में डाल देने वाली ही बात है कि ८० वर्ष की आयु में लता जी फ़िल्म जगत में सक्रीय हैं, भले ही कम मात्रा में। मधुर भंडारकर की फ़िल्म 'जेल' के लिए लता जी ने गाया "दाता सुन ले, मौला सुन ले" और एक बार फिर साबित किया कि वो लता मंगेशकर हैं। इस साल की सर्वश्रेष्ठ गायिका के रूप में उनका नाम मनोनित करने की ग़ुस्ताख़ी मैं नहीं करूँगा क्योंकि आज के दौर के गायिकाओं में उन्हे शामिल करना हमें शोभा नहीं देता। बस ईश्वर से यही दुआ करेंगे कि लता जी ऐसे ही गाती रहें और फ़िज़ाओं में अमृत घोलती रहें।

अगर हम २००९ को संगीतकार प्रीतम का साल कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। सब से ज़्यादा हिट गानें उन्होने ही तो दिए हैं इस साल। 'बिल्लु', 'न्युयार्क', 'लव आजकल', 'लाइफ़ पार्टनर', 'लव खिचड़ी', 'दिल बोले हड़िप्पा', 'ऒल दि बेस्ट', 'अजब प्रेम की ग़ज़ब कहानी' और 'तुम मिले' जैसी फ़िल्मों में उन्होने कामयाब संगीत दिया। इन सभी फ़िल्मों के गानें साल भर छाए रहे हर रेडियो व टीवी चैनल पर, और झूठ नहीं बोलूँगा मुझे भी इन फ़िल्मों में से कई गानें पसंद आए जिनका ज़िक्र आगे चलकर बारी बारी से आलेख में आता रहेगा किसी ना किसी संदर्भ में। इन सब फ़िल्मों के अलावा नवोदित संगीतकार गौरव दासगुप्ता के साथ उन्होने शेयर किया फ़िल्म 'आ देखें ज़रा' का संगीत। उधर गौरव ने बप्पी लाहिड़ी के बेटे और उभरते संगीतकार बप्पा लाहिड़ी तथा 'जेल' फ़िल्म के मुख्य संगीतकार शमीर टंडन के साथ 'ऐसिड फ़ैक्टरी' का संगीत भी शेयर किया। नवोदित संगीतकारों की बात जब छिड़ ही गई है तो गौरव दासगुप्ता के अलावा और भी कई उभरते संगीतकार इस साल नज़र आए। अमित त्रिवेदी ने 'देव-डी' में अगर किया आपका "ईमोशनल अत्याचार" तो आर.डी.बी ने बनाया हमारे लिए 'आलू चाट'। अब उस चाट का स्वाद कैसा था वह हम सभी को पता है। और अब आर.डी.बी का पूरा नाम मुझसे मत पूछिएगा! चिरंतन भट्ट का संगीत फ़िल्म 'थ्री - लव लाइज़ ऐंड बिट्रेयल' में उन्हे बिट्रे कर गई लेकिन सोहैल सेन के १३ गानें 'व्हाट्स योर राशी' में कुछ हद तक पसंद किए गए, लेकिन फ़िल्म के पिट जाने की वजह से संगीत का राशीफल भी कुछ अच्छा नहीं रहा। नए संगीतकारों में शरीब साबरी और तोशी साबरी ने शरीब-तोशी की जोड़ी बनाकर फ़िल्म 'राज़-२', 'जश्न', और 'जेल' में अच्छा काम दिखाया। तोशी की ही आवाज़ में 'राज़-२' का गीत "दिल रोए रे इलाही तू आजा मेरे माही" ख़ासा लोकप्रिय हुआ। इस फ़िल्म में राजु सिंह, प्रणय एम. रिजिया और गौरव दासगुप्ता ने भी कुछ गानें कॊम्पोज़ किए। राजु सिंह के संगीत में सोनू निगम और श्रेया घोषाल की आवाज़ों में "ओ सोनियो" ने भी युवाओं को काफ़ी अट्ट्राक्ट किया।

प्रीतम के बाद जो संगीतकार इस साल ज़्यादा सक्रीय रहे वो हैं शंकर अहसान लॊय की तिकड़ी। 'लक बाइ चांस', 'लंदन ड्रीम्स', 'वेक अप सिद', '१३-बी', 'शॊर्ट कट' जैसी फ़िल्मों में उनका संगीत बजा। शंकर ने इनमें से कई फ़िल्मों में अपनी गायकी के जल्वे भी दिखाए। 'लक बाइ चांस' में "बावरे", "सपनों से भरे नैना", "ओ राही रे", 'शॊर्ट कट' में "मरीज़-ए-मोहब्बत" और "पतली गली से निकल भी जा", 'वेक अप सिद' का शीर्षक गीत, 'लंदन ड्रीम्स' में "मन को अति भावे स‍इयाँ" और फ़िल्म 'अलादिन' में भी कुछ गानें उन्होने गाए। शंकर अहसान लॊय ने इस साल कम से कम तीन नए गायकों को अच्छा ब्रेक दिया। इनमें से एक हैं 'इंडियन आइडल' के प्रतिभागी अमित पॉल जिनसे गवाया गया महालक्ष्मी अय्यर के साथ फ़िल्म 'लक बाइ चांस' में एक नर्मोनाज़ुक युगल गीत "प्यार की दस्ताँ"। 'लंदन ड्रीम्स' में एक और रियलिटी शो से उभरे गायक अभिजीत घोषाल को "जश्न है जीत का" गीत में और मोहन को "ख़ाना बदोश" गीत में मौका दिया। 'वेक अप सिद' में अमिताभ भट्टाचार्य से गवाया "गूँजा सा है कोई इकतारा"। 'शॊर्ट कट' फ़िल्म में बहुत दिनों के बाद सोनू निगम और अल्का याज्ञ्निक की युगल आवाज़ें सुनने को मिलीं जावेद अख़्तर साहब के लिखे एक रोमांटिक डुएट "कल नौ बजे तुम चाँद देखना" गीत में। शंकर अहसान लॊय ने 'चांदनी चौक टू चायना' फ़िल्म में कैलाश खेर, कामत ब्रदर्स और बप्पी लाहिड़ी के साथ संगीत शेयर किया। बप्पी दा ने इस फ़िल्म में अपना हिट गीत "बम्बई से आया मेरा दोस्त" को नए रूप में "इंडिया से आया मेरा दोस्त" पेश किया। बप्पी लाहिड़ी और लव जंजुआ 'जय वीरू' फ़िल्म में भी संगीत दिया लेकिन "तैनु लेके जाना" गीत के अलावा किसी भी गीत के तरफ़ लोगों ने ध्यान नहीं दिया।

अब ज़िक्र एक ऐसे संगीतकार का जिनका नाम हर पीढ़ी के श्रोता बड़े सम्मान से लेते हैं। ए. आर. रहमान, जो हर साल एक दो फ़िल्मों में संगीत देकर अपना अमिट छाप छोड़ जाते रहे हैं, इस साल भी उनका यही रवैया जारी रहा। बस दो फ़िल्में - 'दिल्ली-६' और 'ब्लू', लेकिन दोनों का संगीत ही सुपरहिट। 'ब्लू' फ़िल्म भले ही पिट गई लेकिन 'दिल्ली-६' ने लोगों को अपनी ओर खींचा। "मसक्कली", "ससुराल गेंदाफूल", "अर्ज़ियाँ" और "रहना तू" जैसे गानें ख़ूब ख़ूब पसंद किए गए और निस्संदेह इन गीतों को पुरस्कारों के कई विभागों में इस साल नॊमिनेशन मिलेगा ऐसा मेरा ख़याल है। दक्षिण के एक और संगीतकार जिनकी फ़िल्म 'सदमा' के गानें आज भी याद किए जाते हैं, इस साल उनका पुनरागमन हुआ हिंदी फ़िल्म संगीत में। इलय्याराजा ने फ़िल्म 'चल चलें' और 'पा' में संगीत दिया। 'चल चलें' तो बिना कोई शोर मचाए ही चली गई पर अभी अभी प्रदर्शित हुए 'पा' के रेवियूस बेहद अच्छे हैं। फ़िल्म 'पा' के गानें लिखे हैं स्वानंद किरकिरे ने जो ज़्यादा जाने जाते हैं संगीतकार शांतनु मोइत्र के साथ काम करने के लिए। तो भई, इस साल भी इन दोनों की जोड़ी सलामत रही और आज ही रिलीज़ हो रही है स्वानंद-शांतनु की फ़िल्म '३ इडियट्स'। इस फ़िल्म में सोनू निगम और श्रेया घोषाल के गाए "ज़ूबी डूबी" गीत को काफ़ी पसंद भी किया जा रहा है। एक और सीनियर संगीतकार अनु मलिक साहब ने इस साल 'विक्ट्री' और 'कमबख़्त इश्क़' में संगीत दिया, पर इन कमबख़्त फ़िल्मों ने उनका साथ नहीं दिया। अनु मलिक के भाई और कम बजट के फ़िल्मों के संगीतकार डबू मलिक को इस साल मौका मिला कुछ हद तक बड़ी बजट की फ़िल्म 'किसान' में संगीत देने का लेकिन वो इसका फ़ायदा नहीं उठा सके। ज़िक्र जारी है सीनियर संगीतकारों की, नदीम श्रवण इस साल लेकर आए 'डू नॊट डिस्टर्ब'। इस फ़िल्म के संगीत को सुनकर हम बस यही कह सकते हैं कि नदीम श्रवण जी, आपके पुराने तमाम गीतों के चाहनेवालों को आपने बहुत ज़्यादा निराश किया है।

हमेशा किसी ना किसी वजह से चर्चा में रहने वाले हिमेश रेशम्मिया इस साल चर्चा में रहे अपने नए लुक्स और नई आवाज़ के लिए। फ़िल्म थी 'रेडियो - लव ऒन एयर'। हाल ही में फ़िल्म रिलीज़ हुई है, गानें भी अच्छे बनाए हैं उन्होने इस फ़िल्म में। श्रेया घोषाल के साथ उनका गाया युगल गीत "जानेमन" का शुमार तो अच्छे गीतों में ही होना चाहिए। लेकिन 'तेरे नाम' वाली बात फिर भी नहीं बन पाई है। 'तेरे नाम' से याद आया कि सल्लु मियाँ पिछले कुछ सालों से संगीतकार जोड़ी साजिद-वाजिद को संगीत देने के काफ़ी मौके देते आए हैं। इस साल भी 'वान्टेड' और 'मैं और मिसेस खन्ना' जैसी फ़िल्मो में इस जोड़ी का संगीत गूँजा। 'वान्टेड' के गानें तो ज़्यादातर आइटम सॊंग्‍स् ही थे, और 'मैं और मिसेस खन्ना' में सोनू-श्रेया के गाए "डोंट से अल्विदा" में भी 'मुझसे शादी करोगी' की याद आती रही। 'ढ़ूंढते रह जाओगे' में भी साजिद-वाजिद का संगीत रहा लेकिन अगर मैं आप से इस फ़िल्म के गीतों के बारे में पूछूँ तो आप भी शायद ढ़ूंढते ही रह जाओगे!

२००८ में 'रब ने बना दी जोड़ी' से हिट हुए संगीतकार जोड़ी 'सलीम सुलेमान' ने कम से कम तीन ऐसी फ़िल्मों में संगीत दिया कि वो फ़िल्में तो नही चली लेकिन उनके संगीत को ज़रूर नोटिस किया गया। फ़िल्म 'लक' में "लक आज़मा" और 'क़ुर्बान' में "शुक्रान अल्लाह" गीतों ने अच्छा नाम कमाया। '8x10 तस्वीर' में "नज़ारा है" गीत हिट हुआ। वैसे इस फ़िल्म में नीरज श्रीधर और बोहेमिया का भी संगीत था। नीरज श्रीधर भले ही इस फ़िल्म में संगीत दिया हो, लेकिन वो इस साल छाए रहे अपनी आवाज़ की वजह से। एक के बाद एक कई हिट गीतों में उनकी आवाज़ रही। 'बिल्लू' फ़िल्म में "लव मेरा हिट हिट सोनिए", '8x10 तस्वीर' में "आजा माही", 'लव आजकल' में "ट्विस्ट'", "चोर बाज़ारी", "आहुं आहुं", 'अजब प्रेम की ग़ज़ब कहानी' में "प्रेम की नैया", 'तुम मिले' में "तुम मिले तो जीना आ गया" जैसे पॊपुलर गानें उन्होने गाए। नीरज श्रीधर के ज़िक्र से याद आया दोस्तों कि हमने अब तक एक ऐसे गायक का ज़िक्र तो किया ही नहीं जिसने शायद इस साल सब से ज़्यादा बेहतरीन गानें गाए हैं। जी हाँ, मोहित चौहान। चाहे वह 'दिल्ली-६' की "मसकली" हो या 'लव आजकल' की "ये दूरियाँ", '8x10 तस्वीर' का "हाफ़िज़ ख़ुदा", 'न्यु यार्क' का "तूने जो ना कहा", 'तुम मिले' में "इस जहाँ में" और 'कमीने' फ़िल्म का "पहली बार मोहब्बत की है"। वैसे 'कमीने' ज़्यादा चर्चित हुआ सुखविंदर सिंह और विशाल दादलानी के गाए "ढैन ट नैन" गीत की वजह से। गुल्ज़ार साहब के क़लम का जादू चला इस फ़िल्म के गीतों में और विशाल भारद्वाज का संगीत था। वैसे विशाल दादलानी अपनी संगीतकार जोड़ी विशाल-शेखर के संगीत के बाहर भी शुरु से ही गाते आए हैं, इस साल भी उनकी आवाज़ कई गीतों में गूँजी। "नज़ारा है" और "ढैन ट नैन" के अलावा विशाल-शेखर के संगीत में 'अलादिन' फ़िल्म में 'यू मे बी" और "बचके ओ बचके" गीतों में उनकी आवाज़ थी। वैसे विशाल शेखर के लिए यह साल उतना अच्छा नहीं रहा जिस तरह का उनका पहले रह चुका है। नीरज श्रीधर और मोहित चौहान, इन दोनों गायकों को फ़िल्मों में मौका देकर लोकप्रिय बनाने का श्रेय संगीतकार प्रीतम को ही जाता है। और सिर्फ़ ये दो ही नहीं बल्कि कई और गायकों को प्रीतम ने समय समय पर मौका दिया है। २००९ में सोहम ने प्रीतम दा के लिए गाया फ़िल्म 'लाइफ़ पार्टनर' में "तेरी मेरी ये ज़िंदगी" तथा आतिफ़ अस्लम ने 'अजब प्रेम की...' में "तेरा होने लगा हूँ"।

दोस्तों, एक और पार्श्व गायक हैं जो कई हिट गीत गाते रहने के बावजूद भी कुछ अंडर-रेटेड ही रहे हैं। हम यहाँ के.के की बात कर रहे हैं। "है जुनून" (न्युयार्क), "मैं क्या हूँ" (लव आजकल), "मैं जितनी मर्तबा" (ऒल दि बेस्ट), "मैं तेरा धड़कन तेरी" (अजब प्रेम की...), "दिल इबादत कर रहा है धड़कनें मेरी सुन" और "ओ मेरी जान" (तुम मिले) जैसे गीत इस साल के.के. ने गाए हैं, लेकिन उनकी चर्चा ना के बराबर ही हुई। सूफ़ी मिज़ाज के गीतों की अब बात करें तो कैलाश खेर, राहत फ़तेह अली ख़ान और जावेद अली जैसे गायकों ने परंपरा को आगे बढ़ाया। इनमें उल्लेखनीय हैं राहत साहब के गाए "जाऊँ कहाँ" (बिल्लू), "आज दिन चढ़ेया" (लव आजकल), और "रब्बा" (मैं और मिसेस खन्ना)। 'दिल्ली-६' की क़व्वाली "अर्ज़ियाँ" में कैलाश खेर और जावेद अली की आवाज़ें थीं। जहाँ तक पार्श्व गायिकाओं की बात है तो इस साल की फ़िल्मों का रवैया गायिकाओं की तरफ़ उदासीन ही रहा। इस साल गायिकाओं के गाए ऐसे गानें जो आप के दिल को छू ले, उंगलियों में गिने जा सकते हैं। लता जी के गाए 'जेल' फ़िल्म के गीत के अलावा जिन प्रमुख गीतों का उल्लेख किया जा सकता है वो हैं फ़िल्म 'दिल्ली-६' का समूह गीत "ससुराल गेंदाफूल" जिसे रेखा भारद्वाज, श्रद्धा पंडित और सुजाता मजुमदार ने गाया है, इसी फ़िल्म में श्रेया घोषाल का गाया राग गुजरी तोड़ी पर आधारित "भोर भई", फ़िल्म 'न्यु यार्क' में सुनिधि चौहान का गाया "मेरे संग", अल्का याज्ञ्निक का गाया फ़िल्म 'शॊर्ट कट' में "कल नौ बजे", फ़िल्म 'व्हाट्स योर राशी' में बेला शेंदे का गाया "सु छे", 'वेक अप सिद' में कविता सेठ का गाया "इकतारा", शिल्पा राव की आवाज़ में फ़िल्म 'पा' का "उड़ी उड़ी", और अलिशा चिनॊय का गाया फ़िल्म 'अजब प्रेम की गज़ब कहानी' का लोकप्रिय गीत "तेरा होने लगा हूँ"। इस गीत में भले ही आतिफ़ अस्लम वाला हिस्सा "तेरा होने लगा हूँ" इस गीत का कैच लाइन है, लेकिन अलिशा वाला हिस्सा आजकल बहुतों के कॊलर ट्युन में सुना जा सकता है।

और अब आते हैं गीतकारों पर। गुल्ज़ार, जावेद अख़्तर और स्वानंद किरकिरे का अब तक हमने ज़िक्र किया है। इनके अलावा दो और गीतकार जो पिछले कुछ सालों से फ़िल्म जगत में सक्रीय रहे हैं और इस साल भी कई अच्छे गानें हमें दिए हैं, वो हैं प्रसून जोशी और इरशाद कामिल। अगर प्रसून ने 'दिल्ली-६' के गानें लिखे तो इरशाद साहब ने 'लव आजकल' और 'अजब प्रेम की...' के तमाम हिट गानें लिखे। वैसे 'अजब प्रेम...' में आशिष पंडित के भी गानें थे और 'बिल्लु' फ़िल्म का "मरजानी" गीत भी आशिष का ही लिखा हुआ था। इनके अलावा जिन गीतकारों ने इस साल काम किया उनमें शामिल हैं सईद क़ादरी, मयूर पुरी, सय्यद गुलरेज़, शीर्षक आनंद, प्रशांत पाण्डेय, संदीप श्रीवास्तव, जुनैद वारसी, अजय कुमार गर्ग जिन्होने फ़िल्म 'जेल' में "दाता सुन ले" गीत को लिखा था। हिमेश भाई की फ़िल्म 'रेडियो - लव ऒन एयर' में नवोदित गीतकार सुब्रत सिन्हा ने बहुत ही अच्छे काम का प्रदर्शन किया है, और सुनने में आया है कि फ़िल्म ने अपने रिलीज़ से पहले ही पूरा पैसा वसूल कर लिया है, और यकीनन यह इस फ़िल्म के गीतों का ही असर होगा! गुल्ज़ार साहब ने 'कमीने' के अलावा 'बिल्लु' में कुछ गानें लिखे तथा जावेद अख़्तर ने 'शॊर्ट कट' के अलावा अपने बेटे की फ़िल्म 'लक बाइ चांस' के गानें लिखे। कुछ भी कहिए गुलज़ार साहब का कोई सानी आज दूर दूर तक दिखाई नहीं देता। उनके ग़ैर पारम्परिक बोल इस साल भी सुनाई दिए, ख़ास कर फ़िल्म 'कमीने' के गीत "पहली बार मोहब्बत की है" में भी गिलहरी के जूठे मटर खाने का ज़िक्र है जो उनकी इसी ख़ास अदा को बरकरार रखती है। जहाँ कुछ गीतकारों ने अच्छा काम दिखाया, वहीं बहुत से गीतकारों ने महज़ 'वर्ड फ़िटर' की भूमिका निभाई, और यह मैं यह काम आप पर छोड़ता हूँ ऐसे गीतों को अलग कर रद्दी की टोकरी में फेंकने की।

और अब ये हैं इस साल के मेरी पसंद के ५ गानें....

१. दाता सुन ले, मौला सुन ले (जेल)

२. ससुराल गेंदाफूल (दिल्ली-६)

३. कल नौ बजे तुम चांद देखना (शॊर्ट कट)

४. ये दूरियाँ (लव आजकल)

५. दिल इबादत कर रहा है (तुम मिले)


और अब मेरी तरफ़ से इस साल के कुछ सर्वश्रेष्ठ गीत व कलाकार, अलग अलग श्रेणियों में......

BEST SONG - मसकली (दिल्ली-६)
BEST ALBUM- दिल्ली-६
BEST LYRICIST- गुलज़ार (पहली बार मोहब्बत की है, कमीने)
BEST COMPOSER- ए. आर. रहमान (दिल्ली-६)
BEST SINGER (MALE) - मोहित चौहान (मसकली, दिल्ली-६)
BEST SINGER (FEMALE) - रेखा भारद्वाज, श्रद्धा पंडित, सुजाता मजुमदार (ससुराल गेंदाफूल, दिल्ली-६)
BEST NON FILMI SONG - चांदन में (कैलाश खेर)
BEST UPCOMING ARTIST - तोशी (तू आजा मेरे माही, राज़-२)
BEST FILMED (CHOREOGRAPHED) SONG OF THE YEAR. - बावरे (लक बाइ चांस)
ARTIST OF THE YEAR (OVERALL PERFORMANCE WISE) - प्रीतम


और दोस्तों, अब चलने से पहले आपको बताना चाहेंगे कि साल २०१० में आप किन फ़िल्मों से उम्मीदें रख सकते हैं। साल की शुरुआत होगी सीज़न्स ग्रीटिंग्स के साथ। जी हाँ, १ जनवरी को रिलीज़ हो रही है फ़िल्म 'सीज़न्स ग्रीटिंग्स'। इसके अलावा 'पान सिंह तोमर', 'पीटर गया काम से', 'फ़िल्म सिटि', 'माइ नेम इज़ ख़ान', 'कुची कुची होता है', 'तीन पत्ती', 'रण', 'वीर', 'राइट या रॊंग्', और 'दुल्हा मिल गया' जैसी फ़िल्में एक के बाद एक आती जाएँगी। इन सब की क़िस्मत में क्या है वह तो वक्त और जनता ही तय करेगी, फ़िल्हाल आप ईयर एंडिंग् की छुट्टियों का मज़ा लीजिए, और २००९ के फ़िल्म संगीत की यह समीक्षा आपको कैसी लगी, ज़रूर टिप्पणी में लिखिएगा, आप सभी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ, अब दीजिए मुझे इजाज़त, नमस्कार!

आलेख - सुजॉय चटर्जी

Comments

आपसे सेहमत हूं.

आपने वाकई पूरे साल का लेख जोखा हमें बता दिया. आपके टीम की जितनी तारीफ़ की जाय कम है.

नये गानों में कम हीं ऐसे हैं जिसमें सृजनात्मक कार्य हुआ है, चाहे संगीत में धुनों में, या ऒर्केस्ट्रा संयोजन में, या गीत लेखन में. गायकों नें ज़र कम मेहनत ली, क्योंकि अधिकतर कट पेस्ट के मोहताज़ रहे.
yunus said…
कमाल है सुजॉय । मैंने पिछले शनिवार को विविध भारती के लिए लेखाजोखा किया और टॉप-टेन गानों का चुनाव भी । दिलचस्‍प बात ये है कि हम दोनों के अवलोकन लगभग एक सामन हैं । निन्‍यानवे प्रतिशत एक समान । खुशी होती है इतनी वेव लेन्‍थ समान देखकर ।

काफी मेहनत भरा आलेख । बधाई ।
Sujoy Chatterjee said…
shukriya Dilip ji aur Yunus bhai, aap dono ka. bahut Khushi huyi yeh jaankar ki Yunus bhai se meri pasand milti hai. aapke dwara prasaarit hone waale kaaryakram ka intezaar rahegaa, pehle se bataa deejiyega taaki sun sakoon :-) kahin aap Chitralok Top-10 ki baat to nahi kar rahe?
pradeep said…
aapko bahut bahut badhai.aapke shabdo ko mai awaz deta hoo.mera matlab hai mai aapke artical apni awaz me record karke logo ko sunata hoo jo unhe bahut pasand aate hai pradeep dubey
pradeep said…
sujoy agar aap meri awaz sunna chaho to PRADEEP KA SAFARNAMA YOU TUBE PAR KHOLO .PHIR SOCHO AGAR YE ARTICLE AWAZ KE SATH HAM BROADCOST KARE TO KASA RAHE PRADEEP DUBEY MOB 09425020970
pradeep said…
SUJOY JEE 09425020970 PE MUJHE CALL KARO .MUJHE AAPKE PRAYASO ME SAHYOG KARNA HAI .AAP SAB LAJABAB HO PRADEEP DUBEY

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