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आज की रात पिया दिल ना तोड़ो....अभिनेत्री कल्पना कार्तिक की पहली फिल्म में गाया था गीता दत्त ने इसे

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 273

'ओल्ड इज़ गोल्ड' में इन दिनों सज रही है गीता दत्त के गाए गीतों की 'गीतांजली', जिन्हे चुन कर और जिन पर शोध कर हमें भेजा है गीता जी के गीतों के अनन्य भक्त पराग सांकला जी ने। आज गीता जी की आवाज़ जिस अभिनेत्री पर सजने जा रही है वो हैं कल्पना कार्तिक। कल्पना कार्तिक का असली नाम था मोना सिंह, जो अपनी कॊलेज के दिनों में 'मिस शिमला' चुनी गईं थीं। अभिनेता देव आनंद से उनकी मुलाक़ात हुई और १९५४ में रूस में उन दोनों ने शादी कर ली। लेकिन ऐसा भी सुना जाता है कि उन दोनों की पहली मुलाक़ात फ़िल्म 'बाज़ी' के सेट पर हुई थी और 'टैक्सी ड्राइवर' के सेट पर शूटिंग् के दरमियान उन दोनों ने शादी की थी। लेकिन ऐसी कोई भी तस्वीर मौजूद नहीं है जो सच साबित कर सके। कल्पना कार्तिक ने अपनी फ़िल्मों में देव साहब के साथ ही काम किया। ५० के दशक में उनकी अभिनय से सजी कुल ५ फ़िल्में आईं। पहली फ़िल्म थी बाज़ी, जो बनी १९५१ में। बाक़ी चार फ़िल्मों के नाम हैं आंधियाँ ('५२), टैक्सी ड्राइवर ('५४), हाउस नंबर ४४ ('५४), और नौ दो ग्यारह ('५७)। दोस्तों, 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर आप 'बाज़ी', 'टैक्सी ड्राइवर' और 'हाउस नंबर ४४' के गीत सुन चुके हैं हाल ही में साहिर लुधियानवी व सचिन देव बर्मन पर केन्द्रित विशेष शृंखला के अंतर्गत। आज एक बार फिर से हम सुनेंगे फ़िल्म 'बाज़ी' से एक गीत। दरसल 'बाज़ी' में गीता जी के गाए एक से एक सुपरहिट गीत हैं जिनके बारे में हमने आपको साहिर-सचिनदा वाली शृंखला में ही बताया था। आज का गीत है "आज की रात पिया दिल ना तोड़ो, दिल की बात पिया मान लो"।

फ़िल्म 'बाज़ी' में जब गीता रॉय ने गीत गाए थे तब उनकी उम्र कुछ २०-२१ वर्ष की रही होगी। सचिन देव बर्मन ने गीता रॊय को ४० के आख़िर से लेकर ५० के दशक के बीचों बीच तक बहुत से ऐसे गानें गवाये जो कालजयी बन गए हैं। इसी फ़िल्म 'बाज़ी' के दौरान गीता रॉय और गुरु दत्त साहब में भी प्रेम हुआ और इन दोनों ने भी शादी कर ली। इस तरह से यह फ़िल्म आज गवाह है एक नहीं बल्कि दो दो प्रेम कहानियों की। फ़िल्म 'बाज़ी' में गुरु दत्त एक गेस्ट अपीयरन्स में भी नज़र आए थे। बर्मन दादा ने गीता जी से कुल ६ गीत गवाए थे इस फ़िल्म में जो एक दूसरे से बहुत अलग अंदाज़ वाले थे। इस फ़िल्म के बाक़ी गीत ज़्यादातर पाश्चात्य संगीत पर आधारित हैं लेकिन यह गीत पूरी तरह से इस धरती से जुड़ा हुआ है और बेहद मीठा व सुरीला है। यह फ़िल्म ना केवल कल्पना कार्तिक की पहली फ़िल्म थी, बल्कि इस फ़िल्म ने कई और कलाकारों के करीयर में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जैसे कि देव आनंद, गुरु दत्त, गीता रॉय, साहिर लुधियानवी और सचिन दा की भी। गीत सुनवाने से पहले इस गीत से जुड़ी एक और ख़ास बात। १९५३ में एक फ़िल्म आई थी 'जीवन ज्योति' जिसमें बर्मन दादा का संगीत था। इस फ़िल्म में उन्होने गीता रॉय और साथियों से एक पेपी नंबर गवाया था "देखो देखो नजर लग जाए ना, बैरन की नजर लग जाए ना"। इस गीत की एक उल्लेखनीय बात यह है कि इसकी इंटर्ल्युड की धुन "आज की रात पिया" की ही धुन है। कभी मौका मिला तो ज़रूर सुनिएगा। और अब वक़्त हो चला है आपको आज का गीत सुनवाने का। पेश-ए-ख़िदमत है कल्पना कार्तिक पर फ़िल्माया हुआ गीता रॉय की आवाज़ का जादू।



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा अगला (अब तक के चार गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी (दो बार), स्वप्न मंजूषा जी, पूर्वी एस जी और पराग सांकला जी)"गेस्ट होस्ट".अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-

१. ये गीत गाया गीता दत्त ने मधुबाला के लिए.
२. ये फिल्म क्लासिक Jane Eyre पर आधारित थी.
३. इस भजन के मुखड़े में शब्द है -"जगमग".इस पहेली को बूझने के आपको मिलेंगें २ की बजाय ३ अंक. यानी कि एक अंक का बोनस...पराग जी इस प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकेंगें.

पिछली पहेली का परिणाम -
इंदु जी एक के बाद एक तीन सही जवाब देकर आपने कमा लिए हैं ९ अंक...बहुत बधाई...राज जी आपने इतना कुछ कह दिया, हम तो बस कृतज्ञ हैं, और कुछ नहीं कह पायेंगें..दिलीप जी कोशिश करने वालों की हार नहीं होती....शरद जी और पाबला जी....आपकी हाजरी सही पायी गयी...

खोज - पराग सांकला
आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

Comments

indu said…
FILM- SANGDIL
'DARSHN PYASI AAI DASI JGAMG DEEP JALAYE
indu said…
FILM- SANGDIL
'DARSHN PYASI AAI DASI JGAMG DEEP JALAYE
गीत तो बहुत बेहतर है, मजा आ गया सुनकर।

सजीव जी, पहेली तो हमारे बस में नही है।
कमाल का गीत था पहले भी आज भी

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